= पांच माह से उत्पादन हुआ ठप
= आपदा के बाद अब आचार संहिता के फेर में फंस गई योजना, नहीं मिल सका बजट
= उपेक्षा पर ग्रामीणों में रोष

(((ब्यूरो चीफ विरेन्द्र बिष्ट/फिरोज अहमद/सुनील मेहरा/भीम बिष्ट की रिपोर्ट)))

बेतालघाट ब्लॉक के विभिन्न गांवों के करीब चार सौ से ज्यादा उपभोक्ताओं को बिजली उपलब्ध कराने वाली महत्वकांक्षी जल विद्युत परियोजना में उत्पादन पिछले पांच माह से ठप पड़ा है। आपदा की मार पड़ने के बाद अब आचार संहिता के फेर में फंस योजना के लिए बजट नहीं मिल सका है। बजट न मिलने से योजना खस्ताहाल पड़ी है। जबकि पांच माह पूर्व प्रस्ताव बनाकर उच्चाधिकारियों तक भेजा जा चुका है।
अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर स्थित रामगाढ़ क्षेत्र में बनी महत्वाकांक्षी रामगाढ़ जल विद्युत परियोजना का करंट खत्म हो चुका है। आस पास के कफूल्टा, बारगल, जजूला, सिल्टोना,रामगाढ़, दोपांखी समेत तमाम गांवो के करीब चार सौ उपभोक्ताओं को बिजली मुहैया कराने वाली योजना बदहाली पर आंसू बहा रही है। योजना में उत्पादन ठप होने से फिलहाल यूपीसीएल से बिजली गांव को उपभोक्ताओं को बाईपास की जा रही है। अक्टूबर में हुई मूसलाधार बारिश के बाद उफान में आए रामगाढ़ गधेरे ने योजना को तहस-नहस कर डाला। गांवों में विद्युत पोल भी धराशाई हो गए।आपदा के बाद विभाग ने योजना को दुरुस्त करने के लिए लगभग 65 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाकर उच्चाधिकारियों को भी भेजा पर कोई सुनवाई ना हो सकी। पांच माह बाद भी योजना बदहाली का दंश झेल रही है। उपेक्षा से गांव के लोगों में गहरा रोष व्याप्त है। महत्वपूर्ण योजना की सुध न लेने से लोगों का पारा चढ़ते ही जा रहा है। वरिष्ठ व्यापारी नेता गोधन सिंह बर्गली, रघुराज सिंह, दीपक सिंह बिष्ट, पूरन लाल साह, गजेंद्र नेगी, कमल सिंह, दयाल सिंह, रोहित सिंह बिष्ट आदि लोगों ने तत्काल योजना के लिए बजट उपलब्ध करा योजना को दुरुस्त किए जाने की पुरजोर मांग उठाई है।