रंग लाई धरतीपुत्रों की मेहनत
समय से दो महिने पहले खेतो में तैयार हुई बंद व फूलगोबी
बीते वर्ष हुआ था भारी नुकसान खेतो में ही खराब हो गई थी उपज
गरमपानी : पहाड़ के बदलते मौसम के साथ अब किसानो ने फसल उत्पाद का तौर तरीका भी बदल लिया है। खासतौर पर कुंजगढ़ घाटी क्षेत्र में जून जुलाई में पैदावार होने वाली फूल व बंदगोबी खेतो में तैयार हो गई है। बेहतर उपज होने से किसान भी खुश है।
अल्मोडा़ तथा नैनीताल जनपद की सीमा पर कुंजगढ़ नदी के तट पर बसे टूनाकोट गांव के वासिंदो को बीते वर्ष कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लगे लाकडाउन में काफि नुकसान उठाना पडा़। बंद व फूलगोबी, मूली, बीन आदि सब्जियों की बंपर पैदावार के लिए जाना जाने वाला टूनाकोट गांव में सब्जियों खेतो में सड़कर ही खराब हो गई। जिस कारण किसानो को काफि नुकसान उठाना पडा़।कास्तकारों की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ गई पर गांवो के कास्तकारो ने हार नही मानी। सब कुछ ठिक होने की उम्मीद ले खेतो को रुख किया।हाड़तोड मेहनत की और अब नतीजा सामने आ गया।आमतौर पर जून जुलाई में होने वाली फूल व बंद गोबी की गांव में बंपर पैदावार हुई है।समय से दो माह पहले खेतो में तैयार हुई उपज बकायदा बाजार तक भी पहुंच गई है। बाजार में ताजी सब्जी पहुंचने से किमत भी बेहतर मिल रही है।उपज का बेहतर दाम मिलने से किसान भी खुश है।कास्तकार सुनील मेहरा, किसन सिंह,राम सिंह,कमला देवी,मुन्नी देवी आदि किसानो के अनुसार जैविक खेती लाभ का सौदा साबित हो रही है। दो माह पहले बैमौसमी फूल गोबी व बंद गोबी की बंपर पैदावार हुई है।गांव के करीब चालीस से ज्यादा किसानो की उपज बेहतर हुई है। अब टूनाकोट गांव के आसपास के कास्तकार भी जैविक खेती की ओर रुख कर रहे है।