= आपदा के चार माह बाद भी सिंचाई नहरे पानी विहीन
= गांवो के कास्तकार परेशान,उपेक्षा का आरोप
= खेतीबाड़ी से हो रहा मोहभंग

(((भीम बिष्ट/हरीश कुमार/अंकित सुयाल/कुबेर जीना की रिपोर्ट)))

उपेक्षा से आहत किसानों का खेती बाड़ी से मोहभंग होने लगा लगा है। बीते चार माह से सिंचाई नहरें पानी विहीन है। गांवो में किसानो की आय का एक मात्र साधन खेतीबाड़ी चौपट होने से किसान मायूस है। किसानो ने इसे उपेक्षा करार दिया है। इधर विभागीय अधिकारियों का दावा है की नहरो की मरम्मत के लिए 15 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेजा जा चुका है।स्वीकृति के बाद कार्य शुरु कर दिया जाऐगा।
दरअसल बीते 18 व 19 अक्टूबर को हुई मुसलाधार बारीश के बाद उफान में आई कोसी नदी ने भारी तबाही मचाई। सरकारी परिसम्पत्तियों को भी भारी नुकसान पहुंचाया। बेतालघाट ब्लाक के किसानो के खेतो तक सिंचाई को पानी पहुंचाने को बनाई गई मझेडा़, अपर व लोअर लेफ्ट, धारी खैरनी, तल्ली व मल्ली सेठी तथा बरधौ नहर को भी नेस्तेनाबूत कर दिया। संबधित विभाग ने नुकसान का मौका मुआयना कर नहरो की मरम्मत को करीब 15 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेज दिया पर आपदा को चार महीने से भी ज्यादा का समय बीत जाने के बावजूद बजट को स्वीकृति नही मिल सकी है। मरम्मत के इंतजार में किसान मायूस हो चुके हैं खेतीबाड़ी से मोहभंग होने लगा है का स्तर परेशान हैं आरोप लगाया है कि लगातार उपेक्षा की जा रही है। काश्तकारों ने नहरो को दुरुस्त किए जाने की पुरजोर मांग उठाई है।सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता के अनुसार प्रस्ताव बनाकर भेजा जा चुका है। स्वीकृति मिलते ही कार्य शुरु करा दिया जाऐगा।