= खुलेआम हो रहा लोगों की जिंदगी से खिलवाड़
= नियमों के पहरेदार बन गए मूकदर्शक
= सत्ता की खातिर जुट रही भीड़ में गुम हो रहे नियम
((( टीम तीखी नजर की स्पेशल रिपोर्ट)))
ज्यो ज्यों विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे ही नेताओं में जनता के बीच जाकर चेहरा दिखाने की दौड़ भी शुरू हो गई है।.कोई यात्रा तथा रैली से पहुंच बनाने की जद्दोजहद कर रहा है तो कोई भीड़ जुटाकर शक्ति प्रदर्शन में जुटा हुआ है। कोरोना कि नियमों को भूल विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता अब जनता के बीच हैं।
समस्याओं के समाधान से कोसों दूर रहने वाले नेता एक बार फिर चुनावी संग्राम में उतर गए हैं जनता के नजदीक पहुंचने के लिए साम-दाम-दंड-भेद सभी प्रकार के प्रपंच अपनाए जा रहे हैं। हालांकि अभी किसी भी राजनीतिक दल ने टिकट फाइनल नहीं किया है फिर भी नेता शक्ति प्रदर्शन व अन्य तौर तरीकों से जनता के बीच अपनी पैठ दिखाने की जुगत में है। कभी ना दिखाई देने वाले नेता भी अब छूटभइयों के साथ गांवों में पहुंच रहे हैं पगडंडियों, कच्चे रास्ते व बधाल सुविधाओं को पार कर गांवों में पहुंचने वाले नेता खूब दावे वादे कर रहे हैं शराब का प्रचलन भी करीब आ रहा है। कोरोना संकटकाल में सुध न लेने वाले पैराशूट प्रत्याशी भी अब गांवों में नजर आने लगे हैं। गांवों के आसपास पैराशूट प्रत्याशियों की भीड़ जुटने लगी है। दावे व वादों का दौर शुरू हो गया है रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा के मुद्दे अब भी गायब है। लोगों की माने तो स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार के मुद्दों को नेता खत्म नहीं करना चाहते क्योंकि यदि मुद्दे ही खत्म हो गए तो फिर दावे व आश्वासनों का क्या। दूसरी और कोरोना के नियमों के पालन को खूब ढोल पीटे जा रहे हैं लोगों से मास्क लगाने, अधिक दूरी मुंह में मांस के समय तमाम नियमों का पालन कर कोरोनावायरस से बचने का आह्वान किया जा रहा है पर नेताओं की रैली, यात्राओं तथा तथा शक्ति प्रदर्शन में नियम धूल चाट रहे हैं। खास बात यह है कि नियमों का पालन करवाने वाले जिम्मेदार चुप्पी साधे बैठे हैं।