◼️मकानों में गहरी दरारे, आपदा के नहीं भर सके जख्म
◼️ आसमान की गड़गड़ाहट से तेज हो जाती हैं धड़कनें
◼️ गांव की सुध न लिए जाने से ग्रामीणों में है गहरी नाराजगी

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

बेतालघाट ब्लॉक के सुदूर जाख गांव आज भी आपदा की मार से कराह रहा है। आपदा को नौ माह बीतने के बावजूद ग्रामीण दहशत के साए में रहने को मजबूर हैं। घरों में गहरी दरारें बड़ी घटना की ओर इशारा कर रही हैं। आसमान की गड़गड़ाहट से ही ग्रामीण सिहर उठते हैं। आलम यह है कि बारिश होने पर लोगों को घर से बाहर आना मजबूरी बन चुका है। क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधि व ग्रामीणों का आरोप है कि आज तक गांव में कोई भी जिम्मेदार अधिकारी नहीं पहुंच सका है गांव की हालत जस की तस है। लोगों ने प्रदेश के सीएम से गांव की सुध लेने की गुहार लगाई है।
बीते वर्ष अक्टूबर का महाप्रलय भुलाए नहीं भूलता। तमाम गांवों में लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। बेतालघाट ब्लॉक का जाख गांव सर्वाधिक प्रभावित रहा। आज भी गांव के हालात जस के तस हैं। लगभग बीस से ज्यादा ग्रामीणों के आवासीय भवनों में दरारें गहरी होती जा रही हैं खतरे के बीच लोग सिर छुपाने को मजबूर हैं। गांव का रास्ता गांव की बदहाली की हकीकत बयां कर रहा हैं। जगह-जगह मकानों के साथ ही कृषि भूमि भी भूधंसाव की जद में है। जगह-जगह गहरी दरारें साफ देखी जा सकती हैं। अब बरसात नजदीक आने के साथ ही खतरा कई गुना बढ़ चुका है। ग्राम प्रधान आशा भंडारी तथा कुंदन भंडारी के अनुसार आज तक प्रशासन का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी गांव तक नहीं पहुंच सका है जबकि आपदा को नौ माह बीत चुके हैं गांव की कतई सुध नहीं ली जा रही है। विभागीय अधिकारी उपेक्षा पर आमादा है। पंचायत प्रतिनिधियों व ग्रामीणों ने थक हार कर अब प्रदेश के सीएम पुष्कर सिंह धामी से गांव की सुध लेने की गुहार लगाई है।