= आपदा में खैरना क्षेत्र में जमीनदोंज हो गए थे कई मकान
= आवासीय भवनों की सुरक्षा छोड़ तहसील परिसर के पास 40 लाख रुपये से शुरू किए गए सुरक्षा कार्य
= आवासीय भवनों की सुरक्षा को नही मिला बजट
= लोगों ने उठाए गंभीर सवाल जताई नाराजगी

(((टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

गरमपानी खैरना क्षेत्र के ठीक पीछे पहने वाली उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी के रौद्र वेग से कई आवासीय मकान जमीनदोंज हुए शेष बचे आवासीय भवनों की सुरक्षा को बाढ़ सुरक्षा कार्यो को स्वीकृति भी नहीं मिली है पर वही तहसील परिसर के पास चालीस लाख रुपये की भारीभरकम धनराशि से सुरक्षात्मक कार्य शुरू होने से तमाम सवाल खड़े हो गए हैं। स्थानीय लोगों ने क्षेत्र में आवासीय भवनों की सुरक्षा को ठोस प्रबंधन ना कर तहसील परिसर के समीप ही कार्य शुरू होने पर नाराजगी जताई है। उप जिलाधिकारी ने इसे पुनर्निर्माण तो कार्यदाई संस्था सिंचाई विभाग ने आपदा मद से बजट स्वीकृत होने का दावा किया है।

गरमपानी खैरना क्षेत्र में सैकड़ों परिवार निवास करते हैं। बीते वर्ष अक्टूबर में हुई मूसलाधार बारिश के बाद उफान में आई उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी ने कई मकान नेस्तनाबूद कर दिए। कई लोग घर से बेघर हो गए। क्षेत्र में बाढ़ सुरक्षात्मक कार्यों की मांग पुरजोर ढंग से उठी। क्षेत्रवासियों ने शेष बचे आवासीय मकानों के लिए बाड़ सुरक्षात्मक कार्यों की मांग की पर अब तक बजट को सुकृति नहीं मिल सकी है। इसके उलट तहसील कोश्या कुटोली के ठीक पीछे नदी क्षेत्र मे चालीस लाख रुपये की भारी-भरकम लागत से बाढ़ सुरक्षा कार्य शुरू हो गया है। क्षेत्र की अनदेखी कर महज तहसील परिसर के पास बाढ़ सुरक्षा कार्य होने से तमाम गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। स्थानीय लोगों ने इसे उपेक्षा करार दिया है। आरोप लगाया है कि आवासीय भवनों की सुरक्षा ना कर महज तहसील परिसर कार्यालय के समीप 40 लाख रुपये की भारी-भरकम लागत से कार्य होना समझ से परे है। लोगों ने पूरे क्षेत्र में बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य किए जाने की मांग उठाई है। उपजिलाधिकारी राहुल शाह ने इसे पुनर्निर्माण करार दिया है कहा कि पुनर्निर्माण के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था जिसे स्वीकृति मिली है। वहीं सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता केएस चौहान के अनुसार गरमपानी खैरना क्षेत्र के लिए लगभग आठ करोड़ रुपये का सुरक्षात्मक कार्यों के लिए प्रस्ताव बनाया गया है। अभी स्वीकृति नहीं मिली है। वर्तमान में तहसील परिसर के पास हो रहे कार्य के लिए आपदा मद से 40 लाख रुपये स्वीकृत हुआ है।
नौनिहालों की जान को भी खतरा जिम्मेदार बेपरवाह
आपदा में खैरना से सरस्वती शिशु मंदिर खैरना को जाने वाला रास्ता भी भूधंसाव की जद में आकर ध्वस्त हो गया। आपदा को सात माह बीतने के बावजूद आज तक रास्ते की मरम्मत नहीं की गई। स्थानीय लोगों ने नदी क्षेत्र में अस्थाई पुल तैयार कर बच्चों की आवाजाही लायक रास्ता तैयार किया है। नौनिहाल जान जोखिम में डाल आवाजाही कर रहे हैं। बरसात का समय भी नजदीक है ऐसे में कभी भी बारिश में शिप्रा उफान पर आ सकती है जिसमें नौनिहालों की जिंदगी पर भी संकट मंडरा सकता है। बावजूद जिम्मेदार बेपरवाह बने हुए।