= रानीखेत पुल के रैंप पर गड्ढों में बिछाए गए पत्थर व मिट्टी
= विभागीय कार्यशैली पर उठे सवाल = जल्द सुध न लेने पर आंदोलन का ऐलान

(((विरेन्द्र बिष्ट/कुबेर सिंह जीना की रिपोर्ट)))

अल्मोड़ा व नैनीताल जनपद की सीमा को जोड़ने वाले ऐतिहासिक रानीखेत पुल पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। पुल के ऊपरी हिस्से में गड्ढे बड़ी घटना की ओर इशारा कर रहे हैं। व्यापारियों ने समय रहते पुल की सुरक्षा को ठोस कदम उठाए जाने की मांग उठाई है।
दोनों जनपदों के सीमा पर कोसी नदी पर बने ब्रितानी दौर के सामरिक व ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रानीखेत पुल पर पत्थर बिछा आवाजाही की जा रही है। गड्ढे विभागीय उपेक्षा की पोल खोल रहे हैं। पर्वतीय क्षेत्रों को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण पुल की उपेक्षा किए जाने से क्षेत्र के व्यापारियों में गहरा रोष व्याप्त व्याप्त है। प्रांतीय नगर उद्योग व्यापार मंडल प्रदेश उपाध्यक्ष महिपाल सिंह बिष्ट के अनुसार रोजाना सैकड़ों वाहन पुल से आवाजाही करते है। रैंप खराब होने के कगार पर पहुंच चुका है। जगह-जगह पुल में पत्थर व मिट्टी बिछाकर आवाजाही की जा रही है। महत्वपूर्ण पुल की उपेक्षा ठीक नहीं है। व्यापारी नेता मदन सुयाल ने कहा की पुल की उपेक्षा किए जाने पर पुल खतरे में पहुंच सकता है यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो स्थिति बिगड़ सकती है। पुल के रैंप को तत्काल दुरुस्त किए जाने की पुरजोर मांग उठाई है। कहा है कि बारिश में पुल के समीप जलभराव भी हो रहा है जिससे खतरा और बढ़ने की आशंका है। व्यापारी नेता महेंद्र सिंह बिष्ट, पूरन लाल साह, सुनील मेहरा, पंकज नेगी, पंकज भट्ट, राहुल शर्मा आदि लोगों ने तत्काल व्यवस्था में सुधार की मांग उठाई है। दो टूक चेतावनी दी है कि यदि उपेक्षा की गई तो फिर सड़क पर उतर आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।