🔳 विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों ने पुराने सेतुओं की हालत सुधारने की उठाई मांग
🔳 कोसी नदी पर बने हैं वर्षों पुराने लकड़ी के सेतु
🔳 चार धाम पैदल यात्रा में नदी को पार करने में श्रद्धालु करते थे इस्तेमाल
🔳 वर्तमान में अनदेखी व समय की मार से हो चुके हैं बदहाल
[[[[[[[[[ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट ]]]]]]]]]]

अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर कोसी नदी क्षेत्र में बने वर्षों पुराने सेतुओं को पर्यटन गतिविधियों के मद्देनजर पुनर्जीवित किए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों ने ऐतिहासिक सेतुओं की मरम्मत कर उन्हें आवाजाही लायक बनाकर पर्यटकों के लिए खोलने पर जोर दिया है। गांवों के बुजुर्गो के अनुसार पहले चार धाम की पैदल यात्रा करने वाले श्रद्धालु कोसी नदी पार करने के लिए इन सेतुओं का इस्तेमाल करते थे।
हाईवे से सटी कोसी नदी पर तमाम स्थानों पर वर्षों पुरानी झूला पुल बदहाली पर आंसू बहा रही है। लकड़ी निर्मित झूला पुल अनदेखी से बदहाल हो चुकी है। काकड़ीघाट क्षेत्र में पुल क्षतिग्रस्त हो चुकी है तो वहीं नावली, खैरना, रातीघाट क्षेत्र में सेतुओं के अवशेष ही शेष बचे है‌‌। ग्रामीणों के अनुसार बुज़ुर्ग बताते थे की पहले जब बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमनोत्री व गंगोत्री की पैदल यात्रा को श्रद्धालुओं का दल आवाजाही करता था तब इन्हीं ऐतिहासिक सेतुओं से ही कोसी व शिप्रा नदी को पार कर श्रद्धालु आगे का सफर तय करते। अनदेखी व समय की मार से वर्तमान में ऐतिहासिक धरोहर बदहाल हो चुकी है। पूर्व सैनिक शिवराज सिंह बिष्ट, व्यापारी कुबेर सिंह जीना के अनुसार यदि वर्षों पुराने सेतुओं का पुनर्निर्माण किया जाएगा तो निश्चित रुप से पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी उपलब्ध हो सकेगा। बताया की बदहाल स्थिति में होने के बावजूद विभिन्न स्थानों पर स्थित वर्षों पुराने सेतु आकर्षण का केंद्र है। कई लोग फोटोग्राफी तो कई फिल्मों के दृश्य आज भी इन सेतुओं के आसपास फिल्माए जाते हैं। क्षेत्रीय जन विकास संघर्ष समिति अध्यक्ष मनीष तिवारी, उपाध्यक्ष सिंह बिष्ट, सचिव फिरोज अहमद, गजेंद्र सिंह, गोपाल सिंह, महेंद्र कनवाल, संजय सिंह बिष्ट, दीवान सिंह, राकेश जलाल आदि ने ऐतिहासिक सेतुओं का पुनर्निर्माण कार्य करवाए जाने की पुरजोर मांग उठाई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *