🔳 लोकगायक के साथ हुए व्यवहार से हर कोई स्तब्ध
🔳 अंग्रेजी हूकूमत की यादें हो गई ताजा
🔳 दीपक लगाता रहा गुहार पर खाकी ने एक न सुनी
[[[[[ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट]]]]]

डीजीपी के जनसंवाद कार्यक्रम से कुछ समय पहले ओखलकांडा के दीपक सुयाल के साथ हुई घटना स्तब्ध कर देने वाली है। जिस तरीके से पुलिस कर्मी दीपक को बाहर ले गए ऐसा लगा मानो ये उत्तराखंड पुलिस नहीं बल्कि अंग्रेजी हूकूमत से जुड़े सिपेहसालार है। बार बार सवाल उठ रहा है की आखिरकार प्रदेश के डीजीपी के कार्यक्रम में दीपक के पहुंचने से कौन सा भूचाल आने वाला था।
राज्य स्थापना दिवस से महज कुछ दिन पहले हल्द्वानी में राज्य के युवा के साथ पुलिस का व्यवहार शर्मशार कर देने वाला है। मानवता को दरकिनार कर जिस फुर्ती से पुलिस टीम ने दीपक को कार्यक्रम से बाहर किया उस पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। पूरे घटनाक्रम पर खुद को प्रदेश का हितैषी बताने वाले नेता क्या प्रतिक्रिया देंगे यह तो भविष्य के गर्भ में है। पर इंतजार है की खुद डीजीपी अभिनव कुमार इस घटना का संज्ञान लेंगे की नहीं। हालांकि पुलिस की आखिरी ऐसी क्या मजबूरी थी की दीपक को डीजीपी साहब से नहीं मिलने दिया गया पर इतना साफ हो गया है की भविष्य में यदि ऐसे जनसंवाद जैसे कार्यक्रमों में राज्य के खासकर सूदूर गांवों के बाशिंदे सोच-समझकर ही शामिल होने पर विचार करेंगे।

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