🔳 समय पर बारिश न होने व सिंचाई व्यवस्था के अभाव में लिया निर्णय
🔳 अनाज व सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में खास पहचान रखता है गांव
🔳 गेहूं की बुआई न करने से किसानों में मायूसी
🔳 चौपट होती खेती बचाने को सिंचाई योजना के निर्माण की मांग
[[[[[[[ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट ]]]]]]]]]]
पर्वतीय क्षेत्रों में खेती-बाड़ी संकट गहरा गया है। समुचित बारिश न होने व सिंचाई की व्यवस्था के अभाव में खैरना रानीखेत स्टेट हाईवे से सटे ताड़ीखेत ब्लॉक के बोहरागांव व छाती गांव के किसानों ने इस बार गेहूं की बुआई से ही मुंह मोड़ लिया। इस वर्ष पहली बार किसानों ने गेहूं की बुआई ही नहीं की है। कास्तकारो के अनुसार पहली बार इस वर्ष गांव में गेहूं की बुआई नहीं की जा सकी है। मौसम की मार व जिम्मेदारों की उपेक्षा से क्षेत्रवासियों में मायूसी भी है।
स्टेट हाईवे से सटे ताड़ीखेत ब्लॉक का बोहरागांव व छाती गांव अनाज व सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में विशेष पहचान रखता है। यहां की सब्जियां हल्द्वानी, लखनऊ व दिल्ली जैसे शहरों को भेजी जाती। गांव की बेहतर आबोहवा से सब्जियों स्वाद में भी अव्वल मानी जाती है। पिछले कुछ समय से बढ़ते जंगली जानवरों के आंतक, बदलते मौसम से हालांकि अब उत्पादन कम हुआ है बावजूद किसान हाड़तोड़ मेहनत कर बेहतर उत्पादन में जुटे रहते हैं। बदलते मौसम के मिजाज से समय पर बारिश न होने व गांव में सिंचाई की आज तक कोई भी व्यवस्था न होने से इस वर्ष किसानों ने गेहूं की बुआई ही नहीं की है। किसान सुंदर सिंह के अनुसार पानी न होने से खेत बंजर हो गए हैं। इस वर्ष गांव के चालीस से अधिक किसानों ने गेहूं की बुआई न करने का निर्णय लिया और गांव में किसी ने भी गेहूं की बुआई नहीं की। निवर्तमान ग्राम प्रधान सुनीता के अनुसार यदि सिंचाई योजना होती तो निश्चित रुप से किसानों को लाभ मिलता। उन्होंने किसानों को मुआवजा देने की भी मांग उठाई है। कुलदीप सिंह, सोनू बिष्ट, कैलाश सिंह बिष्ट, दिलीप सिंह खनायत, कुंवर सिंह खनायत, महेंद्र सिंह, धन सिंह, प्रकाश चंद्र, मदन राम, हरीश राम, चंदन राम आदि किसानों ने कोसी नदी से खेतों तक पानी पहुंचाने को सिंचाई योजना का निर्माण किए जाने की मांग उठाई है ताकि लगातार चौपट होती जा रही खेती को बचाया जा सके।