🔳 एनएच प्रशासन ने हाईवे पर चिह्नित किए 12 खतरनाक स्थान
🔳 हरी झंडी मिलने के बाद टीएचडीसी करेगा सर्वे
🔳 उपचार के लिए विशेषज्ञों की मदद से डीपीआर की जाएगी तैयार
🔳 सुरक्षात्मक कार्य होने से सफर हो सकेगा सुरक्षित
[[[[[[[[[ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट ]]]]]]]]]]]

कुमाऊं की लाइफ लाइन पर खतरा टालने को कवायद तेज हो गई है। एनएच प्रशासन की विशेष टीम ने करीब सत्तर किमी के दायरे में निरीक्षण कर बारह खतरनाक स्थानों पर दरक रही पहाड़ियो को चिह्नित कर उपचार के लिए सड़क व भूतल मंत्रालय भारत सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है। पहाड़ी से खतरा टालने को बजट मिलने के बाद हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल कर जर्जर हो चुकी पहाड़ीयों के उपचार का कार्य किया जाएगा। एनएच के अधिशासी अभियंता प्रवीन कुमार के अनुसार प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने के साथ ही आगे कदम बढ़ाए जाएंगे। प्रयास किया जाएगा की हाइवे पर आवाजाही सुरक्षित हो सके।
अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर तमाम स्थानों पर जर्जर हो चुकी पहाड़ियों खतरे का सबब बन चुकी है। आए दिन पहाड़ियों से पत्थर व मलबा गिरने से आवाजाही करने वाले यात्री व वाहन चालक चोटील हो रहे हैं। बारिश में आवाजाही भी ठप हो जाती है। अतिसंवेदनशील लोहाली की पहाड़ी के उपचार को चौंतीस लाख रुपये का बजट उपलब्ध होने के बाद अब एनएच प्रशासन ने हाईवे पर अन्य स्थानों पर खतरा बन चुकी पहाड़ियों से खतरा टालने को प्रस्ताव तैयार कर सड़क व भूतल मंत्रालय भारत सरकार को भेज दिया है। हाईवे पर जौरासी, रामगाढ़, क्वारब, काकड़ीघाट, नावली, रातीघाट, कैंची समेत बारह स्थानों को एनएच प्रशासन की विशेष टीम ने चिह्नित किया है। पहाड़ियों की हालत इतनी बिगड़ चुकी है की जंगली जानवरों की आवाजाही से भी पत्थर व मलबा गिरने लगता है। पूर्व में पत्थरों की चपेट में आकर कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। ऐसे में यात्री, पर्यटक व वाहन चालकों की जिंदगी पर हमेशा खतरा मंडराते रहता है। एनएच प्रशासन की टीम ने जिन बारह स्थानों को चिह्नित किया है उसमें कई ऐसे क्षेत्र भी है जहां हमेशा पत्थरों के गिरने का सिलसिला जारी रहता है। विभागीय सूत्रों की मानें तो केंद्रीय सड़क व भूतल मंत्रालय से प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद टिहरी हाइड्रो डवलमेंट कारपोरेशन ( टीएचडीसी ) के विशेषज्ञों की टीम खतरा बन चुकी पहाड़ियों का जायजा ले सुरक्षात्मक कार्यों के लिए डीपीआर तैयार करेगी। बजट मिलने के बाद कार्य शुरु होगा। एनएच के अधिशासी अभियंता प्रवीन कुमार के अनुसार निरीक्षण रिपोर्ट मिलने के बाद प्रस्ताव तैयार कर सड़क व भूतल मंत्रालय को भेजा गया है। पहाड़ीयों के उपचार के बाद खतरा टलने से आवाजाही सुरक्षित हो सकेगी।

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