🔳 जंगली जानवरों व बंदरों के बढ़ते आंतक से धरतीपुत्र मायूस
🔳 मटर की उपज को नुकसान पहुंचने से किसानों के माथे पर गहराई चिंता की लकीरें
🔳 लगातार नुकसान से बिगड़ने लगी है आर्थिक स्थिति
🔳 लगातार आवाज उठाए जाने के बावजूद नहीं ली जा रही सुध
🔳 बंदरों व जंगली जानवरों से खेती बचाने को नहीं उठाए जा रहे ठोस कदम
[[[[[[[[[[[[ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट ]]]]]]]]]]]]
कोसी घाटी के गांवों में बंदर व जंगली जानवरों ने मटर की उपज को खासा नुकसान पहुंचा दिया है। उपज के बर्बाद होने से धरतीपुत्र मायूस हैं। हाड़तोड़ मेहनत के बाद खेत तैयार करने से लेकर महंगे दामों में बीज खरीदने के बाद अब उपज को तहस नहस कर दिए जाने से किसानों का खेतीबाड़ी से मोहभंग होता जा रहा है। लगातार नुकसान होने से आर्थिक स्थिति भी बिगड़ते ही जा रही है। लगातार आवाज उठाए जाने के बावजूद खेतीबाड़ी बचाने को ठोस उपाय न होने से जिम्मेदारों के खिलाफ भी जनाक्रोश पनपने लगा है।
बेतालघाट ब्लॉक के तमाम गांवों में मटर की बंपर पैदावार होती है। बेहद स्वादिष्ट मटर की हल्द्वानी, काशीपुर, रानीखेत, अल्मोड़ा के साथ ही लखनऊ, कानपुर व दिल्ली जैसे शहरों में धाक है। गांवों में बेहतर पैदावार होने से किसानों को भी अच्छा खासा मुनाफा होता था पर पिछले लंबे समय से बंदरों की बढ़ती संख्या व जंगली सूअर, खरगोश व मोर खेतीबाड़ी के लिए अभिशाप बन चुके हैं। किसानों ने हाड़तोड़ मेहनत कर खेत तैयार किए। बाजार से महंगे दामों पर बीज खरीद बुआई की। उम्मीद थी की बेहतर पैदावार से आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा पर बंदरों के बढ़ते आंतक से किसानों की उम्मीद पर पानी फिर गया। बची कुची कसर जंगली जानवरों के झुंड ने खेतों को रौंद पूरी कर दी। बजेडी गांव के किसान राजेंद्र सिंह कार्की के अनुसार बंदरों व जंगली जानवरों ने मटर की उपज को बर्बाद कर डाला है। मल्लाकोट निवासी कास्तकर कृपाल सिंह मेहरा ने बताया की सैकड़ों बंदर एक साथ खेतों में पहुंच जा रहे हैं। भगाने पर काटने दौड़ रहे हैं। उपज को तहस नहस करने के बाद बंदरों का झुंड दूसरे खेतों की ओर रुख कर रहे हैं। हीरा सिंह बिष्ट, श्याम सिंह कार्की, राहुल बिष्ट, महेंद्र सिंह, पंकज सिंह नेगी, संजय सिंह, मनोज सिंह बिष्ट ने भी गांवों में बंदरों व जंगली जानवरों से खेतीबाड़ी को हो रहे नुकसान पर चिंता व्यक्त की है। आरोप लगाया की लंबे समय से नुकसान हो रहा है। खेती-बाड़ी चौपट होने से खेत बंजर होने लगे पर ठोस कदम उठाने को शासन प्रशासन गंभीर नहीं है। साफ कहा की यही हालात रहे तो एक दिन खेतीबाड़ी भी इतिहास बन जाएगी। क्षेत्रवासियों ने जंगली जानवरों व बंदरों से खेती बचाने को गंभीरता से कदम उठाने की मांग उठाई है।