🔳 ग्राम प्रधान संगठन के प्रदेश सचिव ने खड़े किए गंभीर सवाल
🔳 लाभांश के नाम पर किसानों को ठगने का लगाया आरोप
🔳 निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने को किसानों के हितों से खिलवाड़ पर जताई नाराजगी
🔳 किसानों से जुड़े मामले को बर्दाश्त न करने की चेतावनी
🔳 कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी ने दिया गुणवत्ता का हवाला
[[[[[ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट]]]]]
कृषि विभाग से अनुदान में उपलब्ध कराए जा रहे कृषि यंत्रों की कीमत बाजार से अधिक होने से पंचायत प्रतिनिधियों ने सवाल खड़े कर दिए है। आरोप लगाया है की बाजार में अच्छी कंपनी के कृषि यंत्र कम कीमतों पर आसानी से उपलब्ध हो जा रहे हैं जबकि कृषि विभाग से वही यंत्र अनुदान में मंहगी कीमतों पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। ग्राम प्रधान संगठन के प्रदेश सचिव शेखर दानी ने निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने का आरोप लगा मामले की निष्पक्ष जांच की मांग उठाई है।
किसानों को खेतीबाड़ी में कृषि यंत्र उपलब्ध कराने को कृषि विभाग विशेष योजना के तहत अस्सी फीसदी अनुदान पर यंत्र उपलब्ध कराता है। कृषि विभाग के केंद्रों व गांवों में लगने वाले शिवरों में स्टॉलों के माध्यम से भी यंत्रों की बिक्री की जाती है। अनुदान में मिलने वाले कृषि यंत्रों की अत्यधिक कीमत से तमाम गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। ग्राम प्रधान व संगठन के प्रदेश सचिव शेखर दानी ने कृषि विभाग पर किसानों का इस्तेमाल कर निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगा गहरी नाराजगी व्यक्त की है। प्रदेश सचिव शेखर दानी के अनुसार बाजार क्षेत्र में दरांती की कीमत सौ रुपये के आसपास है जबकी कृषि विभाग कीमत 290 रुपये दर्शा रहा है जिसमें सौ रुपये का केंद्रीय व 132 रुपये का राज्यांश दर्शा किसान से 58 रुपये लिए जा रहे हैं। सवाल उठाया की जिस दराती की कीमत बाजार में ही सौ रुपये के आसपास है। उसे विभाग अनुदान पर उपलब्ध कराने का ढोल क्यों पीट रहा है। सरकार को भी सीधे चपत लगाने पर रोष जताया है। कहा कि यदि बाजार से ही सौ रुपये की दरांती की खरीद कर 80 फिसदी अनुदान लागू कर किसानों को दरांती उपलब्ध कराई जाती तो संभवत बेहद कम कीमत पर दरांती उपलब्ध हो जाती। संगठन के प्रदेश सचिव ने ऐसे ही बेलचा, फावड़ा व कुदाल की कीमतों पर सवाल उठा जांच की मांग उठाई है। जल्द मामले को लेकर जनांदोलन शुरु किए जाने की चेतावनी भी दी है। मामले को लेकर नैनीताल ईकाई की कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी रितु कुकरेती ने बाजार व विभाग से उपलब्ध यंत्रों में गुणवत्ता के अंतर का हवाला दिया है। कहा की मानकानुसार गुणवत्तायुक्त उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं। साथ ही किसान कहीं से भी यंत्र खरीद को स्वतंत्र भी है।