🔳 प्रदेश में रुद्रप्रयाग व ऋषिकेश के बाद पाडली की पहाड़ी में दिखेंगी सटीक तकनीक
🔳 विशेष प्रजाति की घास के बीज का अत्याधुनिक मशीन से होगा छिड़काव
🔳 घास की जड़ मिट्टी में करेगी पकड़ मजबूत, रोकेगी भूस्खलन
🔳 जापानी तकनीक से भूस्खलन रोकने को पाडली की पहाड़ी पर गतिमान है कार्य
[[[[[[[ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट ]]]]]]]]]

अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर पाडली की पहाड़ी से भूस्खलन रोकने को जापानी तकनीक से किए जा रहे कार्य में दूसरे चरण का कार्य पूरा होने के बाद अब हाईटेक तकनीक का ड्रेनेज सिस्टम अस्तित्व में आएगा। विशेष डिजाइन से बरसाती पानी की निकासी को बनाए जाने वाला ड्रेनेज सिस्टम अपनी तरह का विशेष कार्य होगा। वर्तमान में रुद्रप्रयाग व ऋषिकेश में भी ऐसा सिस्टम अस्तित्व में आएगा। पहाड़ी पर विशेष प्रजाति की घास के बीज का अत्याधुनिक मशीन से छिड़काव किया जाएगा ताकी घास पहाड़ी के अंदरुनी हिस्से में पकड़ मजबूत कर भूस्खलन के खतरे को टाल सके।
वर्ष 2010 की आपदा में हाईवे पर स्थित पाडली की पहाड़ी से हुए भूस्खलन के बाद यह सिलसिला लगातार चलता रहा। समय बीतने के साथ ही पहाड़ी ने गंभीर रुप ले लिया। सरकार ने पहाड़ी से हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए कई दौर के सर्वे कराए। आखिर में जायका परियोजना से 14.29 करोड़ रुपये के बजट को हरी झंडी मिल गई। भारत व जापानी विशेषज्ञों की टीम ने पहाड़ी के उपचार को किए जाने वाले प्रस्तावित कार्यों की रणनीति तैयार की। विडियो कांन्फ्रेंसिग के जरिए भी दोनों देशों के विशेषज्ञ एक दूसरे से संपर्क साधते रहे। कोरोना काल में रफ्तार थम गई पर कोरोना काल के बाद फिर कवायद ने रफ्तार पकड़ी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाली बूमी कंपनी ( बीयूएमआई ) को निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई। शुरुआत में हाईवे का एलाइनमेंट बदल कार्य शुरु किया गया। शिप्रा नदी क्षेत्र से हाईवे तथा हाईवे से पहाड़ी की ओर सुरक्षा कार्य किए गए। दूसरे चरण में हाईवे से करीब चार सौ मीटर की ऊंचाई पर चालीस मीटर चौड़ाई में खतरा बन चुकी पहाड़ी के उपचार का कार्य किया गया। तीखे ढलान पर पहाड़ी को स्थिर करने को भी हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। जापानी तकनीक का सटीक इस्तेमाल व जापानी विशेषज्ञों की मदद से किए जा रहे कार्य में बरसाती पानी से पहाड़ी की सुरक्षा को विशेष कार्य किए जाएंगे। विशेषज्ञों के अनुसार पहाड़ी के उपचार के साथ ही बरसाती पानी के बहाव से पहाड़ी को बचाने के लिए दो चैनल तैयार होंगे। दोनों चैनल बरसाती पानी को हाईवे पर बने कलमठ तक पहुंचाएंगे। जिससे बरसाती पानी पहाड़ी को रत्ती भर तक नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा।

वर्तमान में पहाड़ी पर जापानी तकनीक से किया जाने वाला क्रिप कार्य अंतिम चरण में है। हाईटेक ड्रेनेज सिस्टम के अस्तित्व में आने के बाद विशेष प्रजाति की घास के बीज का पहाड़ी पर छिड़काव को अत्याधुनिक मशीन का इस्तेमाल भी किया जाएगा। जायका परियोजना के प्रोजेक्ट मैनेजर गौरव जोशी के अनुसार विशेष प्रजाति की घास में तेजी से फैलने व मिट्टी में पकड़ मजबूत करने की विशेष क्षमता होती है। अत्याधुनिक मशीन के इस्तेमाल पर पूरी पहाड़ी पर तैसी से फैलने वाली घास के बीचों का छिड़काव भी किया जाएगा। इसके लिए सभी आवश्यक तैयारियां की जा रही है।

पाडली की पहाड़ी पर जापानी तकनीक से किए जा रहे कार्य में बरसाती पानी की निकासी को विशेष डिजाइन से तैयार ड्रेनेज सिस्टम अस्तित्व में आएगा। रुद्रप्रयाग व ऋषिकेश के साथ ही नैनीताल जनपद के पाडली क्षेत्र में अपनी तरह का यह पहला ड्रेनेज सिस्टम होगा। ड्रेनेज सिस्टम तैयार होने से बरसाती पानी पहाड़ी को रत्ती भर नुकसान नहीं पहुंचा सकता।
जय कुमार शर्मा मुख्य अभियंता, जायका परियोजना, देहरादून।