🔳 चाय विकास बोर्ड की विशेष योजना से हुए लाभान्वित
🔳 चालीस रुपये प्रति किलोग्राम की दर से पत्तियां खरीदेगा बोर्ड
🔳 भारत सरकार की स्मॉल टी ग्रोवर योजना का भी मिलेगा लाभ
🔳 पहले किसानों को मिलता था जमीन का किराया व मजदूरी
🔳 विभिन्न क्षेत्रों में साढ़े चार सौ हेक्टेयर बागान किसानों को सौंपे जाने प्रस्तावित

[[[[[[[ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट ]]]]]]]

उत्तराखंड राज्य के विभिन्न जनपदों के करीब दो सौ किसान चाय बागानों के मालिक बन गए हैं। चाय विकास बोर्ड व भारतीय चाय बोर्ड की संयुक्त पहल से किसानों को खुद के चाय बागान संचालित करने का मौका मिला है। दो सौ किसान करीब सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल के बागानों का संचालन करेंगे। बागान से चार पत्तियों को सड़क तक पहुंचाना होगा जहां से टी बोर्ड चालीस रुपये प्रति किलोग्राम की दर से किसानों की खरीद करेगा। बोर्ड के वित्त अधिकारी अनिल खोलिया के अनुसार करीब 450 हेक्टेयर बागवानों को किसानों को सौंपा जाना प्रस्तावित है।

उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड की नायाब पहल से गांवों के किसान अब खुद के चाय बागानों के मालिक बन चुके है। गांवों में बंजर हो चुकी जमीन को उपजाऊ बनाने व बेहतर चाय उत्पादन के बाद अब किसानों को बागान सौंप दिए गए हैं। पहले बोर्ड किसानों को जमीन का किराया व मजदूरी उपलब्ध कराता था पर अब किसानों को ही बागानों के संचालन का जिम्मा सौंप दिया गया है। शुरुआती चरण में श्यामखेत (नैनीताल), चंपावत, बागेश्वर व चमोली जनपद के करीब दो सौ किसानों को सौ हेक्टेयर बागान संचालन का जिम्मा दिया गया है। खास बात यह है की किसान को महज पत्तियों को बागान से सड़क मार्ग तक पहुंचाना होगा जहां से टी बोर्ड चालीस रुपये प्रति किलो की दर से पत्तियों की खरीद करेगा। अगले वित्तिय वर्ष से इस धनराशि में भी बढ़ोतरी की उम्मीद है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार किसानों के बागानों के मालिक बन जाने के बाद उन्हें भारत सरकार की महत्वकांक्षी स्मॉल ट्री ग्रोवर योजना का लाभ भी मिलेगा। यहीं नही किसानों को चाय विकास बोर्ड के विशेषज्ञ बेहतर उत्पादन का प्रशिक्षण भी देंगे। चाय विकास बोर्ड के वित्त अधिकारी अनिल खोलिया के अनुसार दो सौ किसानों को सौ हेक्टेयर बागान सौंपने के बाद अभी अलग अलग क्षेत्रों में साढ़े चार सौ हेक्टेयर बागान भी किसानों को सौंपे जाने हैं। बोर्ड की प्रस्तावित बैठक में कुछ और महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचार होना है। भविष्य में चाय की हरी पत्तियों की कीमत में भी बढ़ोतरी की जाएगी।