🔳 कभी लहलहाती थी फसल आज झाड़ियों ने डाला डेरा
🔳 पिछले चार वर्षो से सिंचाई के बूंद बूंद पानी के लिए तरस रही क़ृषि भूमि
🔳 सिंचाई नहर पड़ी है ध्वस्त, अस्थाई व्यवस्था भी नहीं कर सके जिम्मेदार
🔳 किसानों ने सिंचाई विभाग पर लगाया उपेक्षा का आरोप
[[[[[[ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट ]]]]]]
कोसी घाटी के जिन खेतों में कभी धान, गेहूं समेत कई कई फसलें लहलहाती थी आज वहां झाड़ियों का राज हो गया है। सिंचाई नहर के चार वर्षों से ध्वस्त पड़े होने से खेत बूंद बूंद पानी को तरस रहे हैं। लगातार चौपट हो रही खेती से धरतीपुत्र भी मायूस हो चुके हैं। खेतों के बंजर हो जाने से किसानों की आर्थिकी भी बिगड़ने लगी है। किसानों के अनुसार लंबे समय से सिंचाई नहरों को दुरुस्त करने की मांग उठाई जा रही है बावजूद सुध नहीं ली जा रही। विभागीय अधिकारी हितों से खिलवाड़ पर आमादा है।
बेतालघाट ब्लॉक के गांवों में खेती-बाड़ी चौपट होने के कगार पर पहुंच गई है। आए का एकमात्र जरिया समाप्त होने से किसानों की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ने लगी है। पिछले चार वर्ष से भी अधिक समय से किसान सिंचाई के पानी के इंतजार में हैं पर आज तक आपदा से ध्वस्त पड़ी नहरों को दुरुस्त नहीं किया जा सका है। जबकि राज्य सरकार ने सिंचाई नहरों की मरम्मत को छह करोड़ रुपये से अधिक का बजट तक सिंचाई विभाग को उपलब्ध करा दिया है।हालत यह है की कभी अनाज, सब्जियों व दाल उत्पादन के क्षेत्र में विशेष पहचान रखने वाले शेरा, आमबाडी, तिवाड़ी गांव, जावा शेरा, रौलिया गांव, नैनीचैक, बर्धो, बधानी गांव सिमलखा, बसगांव समेत तमाम गांवों वर्तमान में खेतों में झाड़ियां उग चुकी है। बंपर पैदावार करने वाले खेतों की स्थिति देख किसान मायूस हो चुके हैं। किसानों के अनुसार सिंचाई नहरों की मरम्मत तो दूर सिंचाई विभाग अस्थाई रुप से सिंचाई का पानी उपलब्ध नहीं करा सका। क्षेत्र पंचायत सदस्य जीवन लाल वर्मा, पान सिंह, ठाकुर सिंह, बालकिशन जोशी, नवीन चंद्र आर्या आदि किसानों चार वर्षो से हो रहे नुकसान की भरपाई को मुआवजा दिए जाने की मांग उठाई है। साथ ही सिंचाई नहरों को जल्द दुरुस्त करने पर जोर दिया है। सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता एके वर्मा के अनुसार नहरों की मरम्मत का कार्य शुरु कर दिया गया है। प्रयास किया जा रहा है की गेहूं की बुआई से पूर्व अस्थाई रुप से पानी उपलब्ध करा दिया जाएगा।