🔳कुजगढ़ नदी सूखी, जल स्तर नदी तल से नीचे पहुंचा
🔳सिंचाई का संकट गहराने से धान की बुआई पर भी मंडराया संकट
🔳विभिन्न सब्जियों की उपज भी हो चुकी है चौपट
🔳किसानों को उचित मुआवजा दिए जाने की उठी मांग
((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))
पर्वतीय क्षेत्रों में जहां एक ओर सूदूर गांवों में पानी के अभाव में खेतीबाड़ी चौपट हो चुकी है वहीं कुंजगढ़ नदी से सटे क्षेत्र में खेतीबाड़ी करने वाले कास्तकार भी नदी के सूख जाने से चिंतित हो उठे हैं। धान कि बुआई भी प्रभावित होने का अंदेशा है। कास्तकार बारिश के इंतजार में आसमान की ओर टकटकी लगाए देख रहे पर इंद्रदेव मेहरबान नहीं हो रहे।
बारिश न होने से पहाड़ के गांव भीषण सूखे की चपेट में हैं। कोसी घाटी के गांवों में तमाम फसलें चौपट हो चुकी है। इंद्रदेव के रुठने बारिश नहीं हो रही तो वहीं बदहाल पड़ी सिंचाई नहरें किसानों के ज़ख्मों में नमक छिड़क रही है। वहीं कुंजगढ़ नदी के सूखने से कुंजगढ़ घाटी के किसानों की चिंता भी बढ़ गई है। कुंजगढ़ नदी के तट पर टूनाकोट, तिपोला, सुकोली, मंडलकोट समेत तमाम गांवों के किसानों की खेतीबाड़ी है। सभी गांव विभिन्न सब्जियों की बंपर पैदावार के लिए खास पहचान रखते हैं पर बारिश न होने से कुजंगढ़ नदी सूख चुकी है। जलस्तर नदी तल से नीचे हो जाने से सिंचाई का संकट पैदा हो गया है। टमाटर, मिर्च, फूलगोभी, अदरक, हल्दी की उपज बर्बाद हो चुकी है। अब धान की बुआई पर भी संकट खड़ा हो गया है। किसानों के अनुसार लंबे समय से खेतीबाड़ी प्रभावित हो रही है। सिंचाई व्यवस्था न होने से नुकसान बढ़ता ही जा रहा है। कभी सब्जियां बड़ी मंडियों तक भी भेजी जाती थी पर लगातार पैदावार घटने से बड़ी मंडियों तक भी सब्जियां नहीं भेजी जा रही है। ऐसे में खेतीबाड़ी से मोहभंग होता जा रहा है। समाजसेवी सुनील मेहरा ने किसानों को उचित मुआवजा वितरित किए जाने की मांग उठाई है।