🔳 खेतों में उपज को बडे़ पैमाने पर कर दे रहे बर्बाद
🔳 उत्पादन प्रभावित होने से किसानों के माथे पर गहरी हुई चिंता की लकीरें
🔳 लगातार नुकसान से खेतीबाड़ी से होने लगा मोहभंग
🔳 मौसम का मिजाज पहले ही तोड़ चुकी है किसानों की कमर
🔳 नुकसान का सर्वे कर मुआवजा दिए जाने की उठाई मांग
{{{ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट}}}}

कोसी घाटी के किसानों की किस्मत रुठ चुकी है। मौसम के मिजाज से खेतीबाड़ी चौपट होने के कगार पर पहुंच चुकी है। बची-खुची उपज को मोर बर्बाद कर दे रहे हैं। मोर की एकाएक बढ़ती संख्या चिंता का विषय बनती जा रही है। लगातार नुकसान होने किसानों का खेतीबाड़ी से मोहभंग होता जा रहा है।
बेतालघाट ब्लॉक के तमाम गांवों खेतीबाड़ी पर संकट बढ़ गया है। पहले ही मौसम के बदलते मिजाज से कई उपज चौपट हो चुकी है। जंगली सूअर, खरगोश, बंदर परेशानी का सबब बन चुके हैं अब मोर के झुंड खेतों में उतरकर उपज को बर्बाद करने में जुटे हुए हैं। हल्सों, थापली, खैरनी समेत तमाम गांवों में मोर फूलगोभी, हरी मिर्च, शिमला मिर्च व टमाटर की उपज को नुकसान पहुंचा दे रहे हैं। काश्तकार लगातार खेतों में पहरा भी दे रहे हैं बावजूद मोर के झुंड खेतों में उतरकर सब्जी की पैदावार को चौपट कर दे रहे हैं। कभी गांव में सब्जियों की बंपर पैदावार होती थी। बड़ी मंडियों को भी गांव से सब्जियां भेजी जाती पर अब खुद के खाने के लिए भी उत्पादन नहीं हो पा रहा। लगातार बढ़ रही मोरों की संख्या से काश्तकार चिंतित हैं। प्रगतिशील किसान बचे सिंह हाल्सी, राजेंद्र सिंह, खुशाल सिंह आदि के अनुसार लगातार नुकसान से अब खेतीबाड़ी से मोहभंग होता जा रहा है। बर्बाद हो रही खेती से बीज का दाम तक वसूल नहीं हो रहा। किसानों ने लगातार हो रहे नुकसान का उचित मुआवजा दिए जाने कि मांग उठाई है साथ ही मोरों से खेतीबाड़ी बचाने को ठोस उपाय किए जाने पर जोर दिया है।