= जान जोखिम में डाल आवाजाही को हुए यात्री
= बारिश थमने के दो दिन बाद भी नहीं हटाया जा सका मलवा
= बड़े-बड़े बोल्डर दे रहे दुर्घटनाओं को दावत
= लोगों ने शुरू की संबंधित विभाग के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी
(((कुबेर सिंह जीना की रिपोर्ट)))
रोड की पहचान राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में जरूर है पर हालत राष्ट्रीय राजमार्ग जैसे नहीं। जगह-जगह विभागीय उपेक्षा साफ देखी जा सकती है। हर मोड़ पर खतरा मुंह उठाए खड़ा है। जान हथेली में रख यात्री आवाजाही को मजबूर हैं। बावजूद कोई सुध लेवा नहीं।
अल्मोड़ा भवाली राष्ट्रीय राजमार्ग बदहाली का दंश झेल रहा है। बारिश में जगह-जगह भूस्खलन होने के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर मलवा जहां-तहां पड़ा है। बड़े-बड़े बोल्डर दुर्घटना को दावत दे रहे हैं पर विभागीय अधिकारियों को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा। रात के वक्त खतरा दोगुना बढ़ जा रहा है। तीन वर्ष पूर्व खैरना से काकडीघाट तक राजमार्ग का चौड़ीकरण किया गया राजमार्ग को दुरुस्त करने के बाद रखरखाव की पांच वर्ष की जिम्मेदारी संबंधित कार्यदाई संस्था को सौपी गई।पर अब कार्यदाई संस्था ने जिम्मेदारी से मुंह फेर लिया है। राजमार्ग को दुरुस्त करने की जहमत ही नहीं उठाई जा रही। जगह-जगह बरसाती नाली बंद पड़ी है। सुरक्षा दीवारें जवाब दे गई है। कलमठ पर दरार गहरी होती जा रही है बावजूद लगातार उपेक्षा की जा रही है। बदहाली का दंश झेल रहा मोटर मार्ग बड़े खतरे को की ओर इशारा कर रहा है। आवाजाही कर रहे लोगों व व्यापारियों ने आरोप लगाया है कि सरकारी धन की बर्बादी कर दी गई है। राजमार्ग की सुध नहीं ली जा रही जब अभी यह हाल है तो बारिश बढ़ने पर स्थिति विकट हो सकती है पर व्यवस्था में सुधार को ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। व्यापारी नेता विरेंद्र बिष्ट, महेंद्र सिंह बिष्ट, मदन सुयाल, महिपाल सिंह बिष्ट, दयाल सिंह, कुबेर सिंह, फिरोज अहमद, पूरन लाल साह, गजेंद्र नेगी, पंकज नेगी,पंकज कुमार आदि लोगों ने विभागीय उपेक्षा पर रोष जताया है। चेतावनी दी है कि यदि जल्द सुधार को ठोस कदम नहीं उठाए गए तो फिर संबंधित विभाग के अधीक्षण अभियंता के कार्यालय में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू किया जाएगा।