= दावों व वादों का मौसम आऐगा नजदीक
= सत्ता के नजदीक पहुंचने की शुरू होगी जुगत
= 21 वर्ष के राज्य में बदहाल सुविधाओं पर जनता भी उठाएगी सवाल
((( टीम तीखी नजर की स्पेशल रिपोर्ट)))
प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है। विभिन्न पार्टियों के नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टियों को मजबूत करने तथा सत्ता के करीब पहुंचने को जद्दोजहद शुरू कर दी है। खास बात यह है कि अबकी सर्दियों में चुनावी सरगर्मी पारा चढ़ा देगी। वादों व दावो का दौर भी शुरू होगा। स्वास्थ्य, शिक्षा,सड़क तथा बेरोजगारी के मुद्दे पर जनता भी निश्चित रूप से सवाल उठाऐगी।
चुनावी मौसम नजदीक आ गया है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने प्रदेश में चुनावी बिगुल फूंक दिया है। राजनैतिक दलो के कर्ताधर्ता तैयारियों में जुट गए हैं। इस बार सर्दियों में राजनीतिक सरगर्मी निश्चित रूप से पारा चढ़ा देगी। जनता किसके सिर पर ताज पहनाती है यह तो अभी भविष्य के गर्भ में है पर इतना जरूर है कि लोगों में गुस्सा भरा पड़ा है। जनता रह-रहकर बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं, सड़कों, शिक्षा, बेरोजगारी तथा अन्य व्यवस्थाओं पर निश्चित रूप से जवाब मांगेगी। राज्य को बने 21 वर्ष होने के बावजूद आज भी गांवों के लोग सुविधाओं को तरस रहे हैं। बुनियादी सुविधाओं का ही अकाल है। लोग रह रह कर खुद की किस्मत को ही कोस रहें यह भी साफ है कि इस बार जनता ज्यादा झांसे में आने वाली नहीं है बल्कि सोच समझकर ही मतदान के पक्ष में दिखाई दे रही है। 21 सालो में भी सुदूर गांवों में स्थिति जस की तस बनी हुई। चुनावी बिगुल के साथ ही वादों तथा दावो का ऐलान भी शुरू हो जाएगा। घोषणा पत्र भी सामने आएंगे पर घोषणा पत्रों पर अमल होगा कि नहीं यह तो भविष्य बताएगा। पर इतना स्पष्ट है कि लोगों को बांटने व भुलावे में रखने वालों के झांसे में अब जनता आने वाली नहीं है। राज्य के गांवो के हित में बात करने वाली युवा पीढ़ी भी इस बार कतई ढील देने के मूड में नहीं दिख रही है। बहरहाल चुनावी मौसम की शुरुआत के बाद प्रचार प्रसार, मतदान व सिंहासन में बैठने के बाद जनता की सुनवाई हो सकेगी या फिर हमेशा की तरह जनता ठगी जाएगी यह देखना रोचक होगा।