= 70 वर्षीय बुजुर्ग शकील अहमद बीते 40 वर्षों से लगातार दे रहे सेवा
= काफी मिलनसार और लोगों के चहेते भी है शकील
= कौमी एकता का गुलदस्ता है जेनौली की रामलीला

(((विरेन्द्र बिष्ट/भाष्कर आर्या/राजू लटवाल की रिपोर्ट)))

मुझे वजह ना दो हिन्दू या मुसलमान होने की………।
मुझे तो सिर्फ तालीम चाहिए एक ”इंसान” होने की………। रानीखेत खैरना मार्ग पर जैनोली में क्षेत्र में होने वाली रामलीला कौमी एकता का शानदार गुलदस्ता है। यहां उस्ताद शकील अहमद रामलीला मंचन के कलाकारों को अभिनय के गुर सिखा दक्ष बनाते हैं। खास बात यह है कि शकील अहमद को दोहा, चौपाई कंठस्थ याद है।
पिछले दो वर्षों में कोरोना संकट के चलते कई क्षेत्रों में रामलीला मंचन नहीं हो सका पर अब रामलीला मंचन की तैयारियां तेज हो गई हैं। रानीखेत खैरना मार्ग पर स्थित जेनौली क्षेत्र में सुप्रसिद्ध रामलीला मंचन के लिए कलाकारों को तालीम देने का कार्य शुरू कर दिया गया है। क्षेत्र में होने वाली रामलीला में आसपास के सैकड़ों गांवों के लोग मंचन देखने पहुंचते हैं। खास बात यह है कि यहां कलाकारों को उस्ताद शकील अहमद अपने हारमोनियम की धुन से दक्ष बनाते हैं। शकील अहमद को रागनी, दोहा, छंद, कहरवा, चौपाई आदि कंठस्थ याद है वही रामचरितमानस की सभी ताल की जानकारी भी हैं। क्षेत्रवासी बताते हैं कि शकील कलाकारों को अभिनय के गुर भी सिखाते हैं। बीते चालीस वर्षों से शकील अहमद रामलीला मंचन में सेवाएं दे रहे हैं कलाकारों को तालीम देने के बाद पूरी रामलीला में 70 वर्ष शकील अहमद पूरी मुस्तैदी से जुटे रहते हैं।

शकील का दूसरा नाम हारमोनियम के बादशाह

हारमोनियम के बादशाह कहे जाने वाले शकील अहमद पिछले 40 वर्षों से भी अधिक समय से जैनोली क्षेत्र में रामलीला मंचन के दौरान लगातार सेवा देते हैं तो अन्य दिनों में वह जूते सिलने आदि का काम करते हैं। आसपास के गांवों के लोग शकील अहमद को काफी मदद भी करते हैं। काफी मिलनसार स्वभाव के शकील अहमद रामलीला के साथ ही देवी जागरण तथा अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में भी अपनी सेवाएं देते हैं।