= दिनभर चले हाईवोल्टेज ड्रामे के बार पुष्कर सिंह धामी बने मुख्यमंत्री
= प्रदेश के 11 वें सीएम के रुप मे ली शपथ
= दिन भर सियासी लहरो से उठा तुफान शाम को हुआ शांत

(((विशेष संवाददाता की स्पेशल रिपोर्ट)))

अब प्रदेश में पुष्कर धामी सरकार आ गई है। रविवार को शपथ ग्रहण के साथ ही उनका राजतिलक हो गया।दिन भर बार बार उठती नाराजगी की खबरो ने शपथ ग्रहण समारोह पर संशय पैदा कर दिया था पर शाम होते होते विरोध की परिभाषा बदल गई।प्रदेश के 11वें सीएम के तौर पर खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी ने शपथ लेकर तमाम अटकलो पर भी विराम लगा दिया।
रामनगर में भाजपा की चिंतन बैठक के बाद प्रदेश की राजनीति में एकाएक हलचल मच गई। टीएसआर के दिल्ली रवाना होने के साथ ही अटकलो का बाजार गर्म हो गया।टीएसआर ने इस्तीफा दिया तो तमाम नेताओं की उम्मीदे हिलोरे मारने लगी।देहरादून से दिल्ली तक माहौल पक्ष में करने की जोर आजमाइश होने लगी।भाजपा आलाकमान ने पुष्कर धामी के नाम पर मोहर लगाई।रविवार को विरोध की खबरे भी उठती रही पर अंतिम क्षणो में खटीमा विधायक पुष्कर धामी ने मत्रिमंडल के साथ शपथ ले सभी अटकलो पर विराम लगा दिया। पर यह साफ है कि नए सीएम के आगे चुनौतियां भी अपार होगी।

फोटो और नाम बदलना भी बड़ी कसरत

पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री की शपथ लेने के साथ ही अब तंत्र के लिए भी बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। कुछ महीने पहले सभी सरकारी कार्यों, बोर्ड, प्रचार प्रसार समेत तमाम चीजों में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का पोस्टर व फोटो लगाया गया। हालात बदले तो तीरथ सिंह रावत ने कमान संभाल ली। एक बार फिर सभी सरकारी पोस्टर, कागजात समेत तमाम प्रचार-प्रसार की चीजों में त्रिवेंद्र की तस्वीर हटाकर तीरथ सिंह रावत की तस्वीर लगाई गई। अब एक बार अचानक हुए बदलाव से तीरथ का फोटो भी बदल कर नए सीएम पुष्कर सिंह धामी का फोटो लगाया जाएगा। तमाम अभिलेखों में भी नए मुख्यमंत्री का नाम दर्ज होगा। ऐसे में कहीं ना कहीं नीचे से ऊपर तक अधिकारियों को बड़ी कसरत करनी पड़ेगी।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी किया ट्वीट

सियासी ड्रामे के बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी ट्विटर के जरिए लंबी चौड़ी बातें लिखी। हरीश रावत ने कहा कि भाजपा के दो पूर्व मुख्यमंत्री चार सालों तक भाजपा का चुनावी घोषणा पत्र नहीं खोल पाए। उम्मीद जताई कि नए मुख्यमंत्री जरूर घोषणा पत्र को खोल उन पर कार्य करेंगे। अन्य पार्टियों ने भी भाजपा की घेराबंदी की खूब कोशिश की।

ये भारतीय जनता पार्टी है

तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद से ही कई नेता अपने पक्ष में माहौल बनाने को लॉबिंग में जुट गए। हर कोई सिंहासन पर बैठना चाह रहा था। सुबह से ही राजधानी से नाराजगी भरी खबरी निकलती रही पर लोग भूल गए की यह भाजपा है। जहां अनुशासन और शीर्ष नेतृत्व के आदेश का पालन होता है। दिन भर चली विरोध की हवाओं के बाद देर शाम शपथ ग्रहण के बाद सब कुछ शांत हो गया।