= खेतों में खड़ी फसल को कर रहे बर्बाद
= तिपौला व टूनाकोट समेत तमाम गांवों के किसान परेशान
= लगातार नुकसान से खेतीबाड़ी से होने लगा मोहभंग

(((सुनील मेहरा/कुबेर सिंह जीना/भाष्कर आर्या की रिपोर्ट)))

पर्वतीय क्षेत्र के किसान के आगे एक के बाद एक मुसीबत सामने आने से परेशान हैं। हाड़तोड़ मेहनत के बाद उपज बर्बाद होने से अब किसानों का खेती से मोहभंग होने लगा है। मौसम के लगातार बदलते मिजाज से हो रहे नुकसान के बाद अब जंगली जानवर किसानों के लिए आफत बन चुके हैं। खेतों में खड़ी धान की फसल को जंगली जानवर रौद रहें है। जिससे काश्तकार परेशानी है।
लगातार दो वर्षो तक कोरोनाकाल में नुकसान उठाने के बाद किसानों ने वापस खेती किसानी की ओर रुख किया पर ठीक समय पर बदलते मौसम के मिजाज में किसानों को नुकसान पहुंचाया। अदरक तथा गोभी की फसल खराब होने के बाद किसानों ने धान की उपज को तोड़ मेहनत की पर अब जंगली जानवर उपज को नहीं छोड़ रहे। समीपवर्ती टूनाकोट तथा तिपोला गांव में जंगली जानवरों ने किसानों की धान की उपज को बर्बाद कर दिया है। लगातार पहरेदारी के बावजूद जंगली जानवर उपज को बर्बाद कर रहे हैं। जिससे अब किसान निराश वह मायूस है। बैंकों से ऋण लेकर खेती किसानी करने वाले काश्तकारों को दो तरफा नुकसान उठाना पड़ रहा है। लगातार नुकसान से अब खेतीबाड़ी से भी मोहभंग होने लगा है। स्थानीय खुशहाल सिंह, रघुवर सिंह, श्याम सिंह, मदन सिंह, सुनील सिंह मेहरा, धन सिंह, खड़क सिंह, गोपाल सिंह, प्रताप सिंह, बची राम आदि ने मुआवजे की पुरजोर मांग उठाई है। कहा की लगातार उपज बर्बाद होने से नुकसान बढ़ रहा है। ग्रामीणों ने जंगली जानवरों के आतंक से भी निजात दिलाने की मांग की है।