= देश सेवा के बाद 70 वर्ष की उम्र में कर डाली वकालत
= 72 वर्ष की आयु में शिक्षा शास्त्र से किया एमए
= कफूल्टा गांव के नरपत सिंह मेहरा ने पेश की मिसाल

(((दलिप नेगी/मनोजपडलिया/भीम बिष्ट/भरत बोहरा की रिपोर्ट)))

नौकरी से सेवानिवृत्त होने होने के बाद अमूमन लोग घर परिवार में रम जाते हैं। बेतालघाट ब्लॉक के कफूल्टा गांव निवासी बुजुर्गों को कुछ अलग सी धुन सवार है। वकालत करने व 72 वर्ष की आयु में शिक्षा शास्त्र से एमए करने के बाद अब खेती-बाड़ी में रम गए है। आपदा से ध्वस्त हुए खेतों को दुरुस्त करने के साथ ही गांव के युवाओं से खेतीबाड़ी से रोजगार पैदा करने को जोर दे रहे हैं।

बेतालघाट ब्लॉक के कफूल्टा गांव निवासी नरपत सिंह मेहरा जुनूनी व्यक्ति है। देश भक्ति की धुन सवार हुई तो हाईस्कूल करने के बाद वर्ष 1966 में एसएसबी में भर्ती हो गए। आसाम, हिमांचल, मध्यप्रदेश में नौकरी की इसी बीच एमए में भी कर लिया। वर्ष 2008 में सेवानिवृत्त होकर घर वापसी हुई तो अपने पैतृक मकान को दुरुस्त किया। वर्ष 2011 में 70 वर्ष की आयु में वकालत की धुन सवार हुई तो वकालत भी कर ली। परिवारिक जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन भी किया। नरपत सिंह यहीं नहीं रुके 72 वर्ष की आयु में शिक्षा शास्त्र से फिर एमए कर डाला। शिक्षा के लिए कभी उम्र को आड़े नहीं आने दिया अब नरपत सिंह मेहरा ने खेती-बाड़ी को रुख कर लिया है। बेटे व बेटियों की शादी करने के बाद अब 74 वर्ष की आयु में बुजुर्ग नरपत सिंह मेहरा खेती-बाड़ी में जुट गए हैं। अक्टूबर में आई आपदा के बाद खेत ध्वस्त हुए तो मदद का इंतजार किए बगैर खेत दुरुस्त करने की शुरुआत कर डाली। खेत तैयार हुए तो लहसुन, मटर, प्याज आदि की खेती की। वहीं अब नरपत सिंह बागवानी की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। बुजुर्ग नरपत सिंह के अनुसार गांव के युवाओं को भी खेती बाड़ी की ओर रुख करना चाहिए कहते है कि शिक्षित होना बेहद जरूरी है। मन में जीद थी जिसे पूरा करने के लिए उम्र बोझ नहीं बनी। उन्होंने गांव के युवाओं से शिक्षा के साथ-साथ खेती-बाड़ी को रोजगार का जरिया बनाने का आह्वान किया है।