= आए दिन मवेशियों को मार डाल रहा गुलदार
= रातीघाट में गुलदार ने मार गिराया पशुपालक का घोड़ा
= रोजगार का एकमात्र जरिया छीना

(((हरीश चंद्र/महेंद्र कनवाल/मोहित कर्नाटक की रिपोर्ट)))

पर्वतीय क्षेत्र में गांव के लोगों के हालात ठीक नहीं है। बावजूद कोई सुध लेवा नहीं है। खेती-बाड़ी लगातार चौपट होने के बाद अब पशुपालन पर गुलदार भारी पड़ने लगे है। अलग-अलग गांवों में गुलदार का आतंक जोर पकड़ रहा है। बीते दिनों खुशालकोट तथा मलौना गांव में कई मवेशियों को मार डालने के बाद अब रातीघाट क्षेत्र में गुलदार ने एक घोड़े को मार डाला। ग्रामीण घोड़े के माध्यम से ही अपना परिवार चलाता था पर अब आजीविका का संकट भी खड़ा हो गया।
गांवो में गुलदार का आतंक जोरों पर है। दिनदहाड़े ही गुलदार मवेशियों को मार डाल रहे है। ग्रामीण बैंकों से ऋण लेकर पशुपालन का कार्य कर रहे हैं। पर अब लगातार नुकसान पर नुकसान हो रहा है। मौसम की मार से पहले ही खेती करने वाले किसान नुकसान की मार झेल रहे हैं जिससे अब खेती किसानी से मोहभंग होने लगा है। ऐसे में किसानों ने पशुपालन की राह पर चलने का निर्णय लिया। बैंकों से ऋण लेकर मवेशी भी खरीदे पर गुलदार उनके सपनों को चकनाचूर कर दे रहा है। लगातार मवेशियों को मार डाल रहा है जिससे पशुपालकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। रातीखेत क्षेत्र में गुलदार ने भजन सिंह के घोड़े को मार डाला। घोड़ा ही रोजगार का जरिया था। घोड़े से ही भजन सिंह ग्रामीणों के सामान लाने ले जाने का कार्य कर अपनी आजीविका चला रहा था पर घोड़े के मारे जाने से परिवार के आगे आर्थिक तंगी भी खड़ी हो गई है। क्षेत्रवासियों ने ग्रामीणों को मुआवजा दिए जाने की मांग उठाई है। ग्रामीणों ने गांवों में पिंजरा लगा गुलदार के आतंक से निजात दिलाए जाने की भी मांग की है।