= रोजगार करने पहाड़ पहुंचे मजदूरों ने फिर शुरू की वापसी
= आपदा से दहशत में काटी गांवों में रात
= अब अपने ठिकाने में पहुंचने की जद्दोजहद शुरू

(((दलिप नेगी/अंकित सुयाल/पंकज नेगी/मनोज पडलिया की रिपोर्ट)))

कोरोना से हुए नुकसान के बाद एक बार फिर सब कुछ ठीक होने की उम्मीद ले बरेली आदि क्षेत्रों से रोजगार की तलाश में गांव पहुंचे मजदूरों पर अब आपदा की मार पड़ गई। छह माह बाद फिर अब मजदूरों ने पैदल ही अपने घरो को वापसी शुरू कर दी है।
बीते दो वर्षों में लगातार कोरोना संकट से मजदूरों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। रोजगार की तलाश में गांव पहुंचे पर कोरोना संकट सामने आने से वापस गांव को लौटना पड़ा। सब कुछ ठीक होने की उम्मीद ले एक बार फिर कुछ माह पूर्व बरेली व आसपास के क्षेत्रों से मजदूरी का काम करने वाले दर्जनो श्रमिक आसपास के गांवों में पहुंचे। तनिक भी एहसास नहीं था कि इस बार आपदा का सामना करना पड़ेगा। 19 अक्टूबर की रात श्रमिकों के लिए भारी साबित हुई। जहां कई क्षेत्रों में श्रमिक मौत के मुंह में समा गए तो वही बेतालघाट ब्लॉक के गांवों में रहने वाले मजदूरों को भी भारी नुकसान हुआ। भूस्खलन की जद में आ कर सब कुछ दफन हो गया बमुश्किल मजदूरों ने जान बचाई। बरेली के सरफराज, सिराज अहमद, वसीम तथा नकुल, वीर आदि श्रमिकों के अनुसार बस जान ही बच पाई। मेहनत कर कमाई गई धनराशि तक दफन हो गई। ऐसे में अब पैदल ही वापसी एकमात्र रास्ता है। शुक्रवार को गरमपानी खैरना बाजार होते हुए मजदूर अपने घरों को रवाना हो गए।