= गरमपानी खैरना बेतालघाट का बाजार में छाई विरानी
= आपदा ने कर दिए व्यापारियों के जख्म हरे
= गांव पर निर्भर है बाजार
(((दलिप सिंह नेगी/अंकित सुयाल/हरीश चंद्र की रिपोर्ट)))
दो वर्ष कोरोना से नुकसान होने के बाद अब आपदा ने सब कुछ तबाह कर दिया है। व्यावसायिक गतिविधि पूर्णत : चौपट हो चुकी है ऐसे में अब दीपावली फीकी रहेगी। गरमपानी खैरना व बेतालघाट मुख्य बाजार के व्यापारी आसपास के गांवों पर निर्भर हैं पर गांव के लोगों की उपज चौपट हो चुकी है।खेत रोखड़ में तब्दील है। दो वर्ष कोरोना ने बर्बाद कर दिए उपज खेतों में ही सड़ गई। अब आपदा ने तबाही मचा दी ऐसे में दीपावली के त्यौहार भी सुना सुना ही रहेगा।
दो वर्ष करोना ने खराब किए। जैसे ही व्यापार वापस पटरी पर आ रहा था तो आपदा ने कहर बरपा दिया। गांव के लोगों पर ही दुकानदार निर्भर हैं। ऐसे में दीपावली में खास व्यवसाय होने की उम्मीद नहीं दिख रही।
देवेश कांडपाल, व्यापारी, गरमपानी
किसानों की उपज बाजार में आती तो उन्हें उसका पैसा मिलता उसी पैसे को वह खर्च करते हैं। सारा कारोबार गांव पर निर्भर है पर इस बार कुछ भी ठीक नहीं है। व्यापार पटरी से उतर चुका है।
दुर्गा सिंह बिष्ट,व्यापारी, खैरना।
खेत बर्बाद हो चुके हैं।बिल्कुल भी ऊपर नहीं बची है। उपज बाजार में बिकती तो पैसा बाजार में ही खर्च होता। दीपावाली फीकी हो गई है। राहत के नाम पर कुछ भी नहीं मिल सका है।
– महेंद्र सिंह बिष्ट, व्यापारी, छडा़।
बेतालघाट बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव के रास्ते बंद होने से गांव के लोग भी बाजार नहीं पहुंचे हैं। अगर पहुंच भी रहे हैं तो रोजमर्रा की आवश्यकता की चीजें ले रहे हैं इस वर्ष दीपावली फिखी है।
– शेखर दानी, व्यापारी, बेतालघाट