= नहीं ली गई आज तक सुध बस हवा हवाई होते रहे दावे
= नीति निर्माताओं की बड़ी नाकामी है बदहाल पड़ी एचएमटी
(((हल्द्वानी से इंदु बिष्ट/नीरजा साह की रिपोर्ट)))
कभी सैकड़ों लोगों रोजगार का साधन आज बदहाली पर आंसू बहा रहा है। पहाड़ों में रोजगार के दावे करने वाले राजनेताओं को मुंह चिढ़ा रहा है। रोजाना कई बड़े राजनेता नीति निर्माता इस रोजगार की फैक्ट्री के आगे से गुजरते हैं पर आज तक किसी ने भी इसे मुकाम तक पहुंचाने की जद्दोजहद नहीं कि यही नहीं आज तक इसका विकल्प भी नहीं तलाशा जा सका रोजगार के दावा करने वालों के लिए कुमाऊ के प्रवेश द्वार हल्द्वानी से कुछ आगे रानीबाग क्षेत्र में बदहाल पड़ी एचएमटी फैक्ट्री बड़ा तमाचा है।
वर्षो पहले रानीबाग स्थिय एचएमटी फैक्ट्री की नींव रखी गई तब आसपास के सैकडो़ लोगो को रोजगार उपलब्ध हो गया। घडी़ की सुई की तरह जिंदगी की गाडी़ चल पडी़। कई लोगो को घर पर भी रोजगार मिल गया। पर एचएमटी फैक्ट्री की उपेक्षा होती चली गई। धीरे धीरे फैक्ट्री विरान होती चली गई।लोगो के हाथो से रोजगार भी चला गया। बडे़ बडे वादे और झूठे आश्वासन की बौछार होती रही पर गंभीरता से निति न बन पाने के कारण एचएमटी फैक्ट्री की सुई थम गई। बदहाल पडी़ फैक्ट्री, कर्मचारी आवास चीख चीख कर बदहाली की हालात बंया कर रहे है। बार बार सवाल उठ रहा है की रोजगार उपलब्ध कराने को बडी़ बडी़ योजनाए बनाने वाले नीति नियंता को एचएमटी की हालत क्यो नही दिखी। रोजाना बडे़ नेता फैक्ट्री के आगे से निकलते है पर बदहाली नजर नही आई। सही मायने में बदहाल पडी़ एचएमटी फैक्ट्री विकास का ढोल पीटने तथा विकास का दावा करने वालो के मुंह में तमाचा है।