= ग्रामीण कर रहे जान जोखिम में डाल आवाजाही
(((शेखर दानी/अंकित सुयाल/कमल बधानी)))
गांव के विकास को सरकार लाख दावे करे पर गांवों में सड़क सुविधा खस्ताहाल हो चुकी है। सड़कों की हालत सरकारी दावों के मुंह में तमाचा मार रही है। बदहाल सड़को से लोग परेशान हैं। गांवों की सड़कों में आवाजाही खतरनाक हो चुकी है। जगह-जगह गड्ढे दुर्घटनाओं को दावत दे रहे हैं। बारिश में सड़क का अंदाजा ही नहीं लग रहा। सड़कें जलमग्न हो जा रही हैं। ग्रामीणों को जान जोखिम में डाल आवाजाही करनी पड़ रही है। सरकार गांवो को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए रोजाना नई नई सड़कों की घोषणा पर जोर दे रही है पर गांवों में बनी पुरानी सड़के ही दम तोड़ने लगी है। पुरानी सड़को की देखरेख ढंग से नहीं हो पा रही। हालात यह है कि खस्ताहाल सड़कें सरकार के दावों के मुंह पर तमाचा है। गांवो के लोगो का कहना है कि सड़के खस्ताहाल हो चुकी है। ऐसा लगता है मानो विभाग दुर्घटनाओं का इंतजार कर रहा है। खस्ताहाल सड़कों में गर्भवती महिलाओं तथा मरीजो को लाने ले जाने में काफि दिक्कतो का सामना करना पड़ रहा है।रात के वक्त खतरा दोगुना हो जा रहा है। बावजूद कोई सुध नहीं ले रहा। लोगों ने गांव की सड़कों को दुरुस्त करने की मांग उठाई है। दो टूक चेतावनी दी है कि यदि दो टूक चेतावनी दी है कि यदि ग्रामीण सड़कों को दुरुस्त नहीं किया गया तो सड़क पर उतर आंदोलन किया जाऐगा।