🔳बीते दिनों छुट्टी पर घर आए जांबाज संजय ने किया था ताऊ से वादा
🔳 हमेशा लोगों से मिलजुल कर रहने को कहते संजय
🔳 बचपन से ही थी देशसेवा की ललक
🔳 मां भारती की सेवा में प्राण न्यौछावर कर अमर हो गया लाल
((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

भारत माता की आन, बान, शान को अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर जांबाज संजय काफी दिलेर थे। जब भी छुट्टी में घर आते लोगों से कुछ कर गुजरने की बातें करते। संजय हमेशा आत्मीयता के साथ मिलते हाल-चाल जानते। इस बार संजय एक महीने की छुट्टी में घर आया तब वह ताऊ थान सिंह से बोला कुछ ऐसा काम करूंगा कि पूरा खानदान का नाम रोशन कर जाऊंगा। मिलनसार संजय के शहीद होने की सूचना पर तमाम गांव के लोग उसके घर पहुंच रहे हैं जहां एक और संजय के शहीद होने का गम है तो वहीं फक्र भी है। पड़ोसी तारा सिंह बिष्ट बताते हैं कि संजय हमेशा मिलजुल का रहने की बात करता। लोगों से आपसी विवाद व मतभेदों से दूर रहने के लिए कहता। कहता कि हमेशा एकजुट रहना चाहिए।

सबसे मिलकर रहने को कहता संजय

भारत मां की रक्षा को सर्वोच्च निछावर करने वाले जांबाज शहीद संजय को पूरी क्षेत्र की चिंता थी।स्थानीय लोग बताते कि जब भी संजय मिलता तो वह हमेशा लोगों से रोजगार से जुड़ने की बात कहता। सेना में भर्ती होकर देश सेवा के लिए कहता वहीं अपने बड़े भाई नीरज को भी हमेशा मदद करता। भाई नीरज के अनुसार पिछले दिनों छुट्टी में घर आए भाई संजय ने उन्हें जल्द होमस्टे शुरू करने के लिए कहा था। बताया कि संजय ने बोला कि जब अगली बार वह छुट्टी आऊंगा तो मिलजुल कर होमस्टे का कार्य भी शुरू करेंगे।

बाल्यावस्था से थी सैनिक बनने की धुन

जांबाज संजय जीआइसी रातीघाट का मेधावी छात्र रहा। भारतीय सेना में भर्ती होकर देशसेवा की ललक उसमें बचपन से ही थी। 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद संजय 19-कुमाऊं रेजीमेंट में भर्ती हुआ। कठिन प्रशिक्षण व मेहनत के दम पर उसे नाइन-पैरा की स्पेशल फोर्स में बतौर कमांडो तैनाती मिली। बीती एक नवंबर को ही संजय एक माह की छुट्टी बिताकर जम्मू लौटा था। इस दरमियान दूरभाष पर स्वजन की उससे वार्ता हुई। बलिदान से माहौल गमगीन है तो क्षेत्र गौरवान्वित भी है।