= मुआवजे की राह देखते देखते थके किसान
= आपदा से हुआ भारी नुकसान,नही ली किसी ने सुध
= लोगो ने फिर दोहराई मुआवजे की मांग

(((पंकज भट्ट/हरीश कुमार/पंकज नेगी/हरीश चंद्र की रिपोर्ट)))

आपदा के बाद से मुआवजे का इंतजार कर रहे किसानो को आखिरकार निराशा हाथ लगी है। मायूस किसान अब थक हार कर रोखड़ में तब्दील हो चुके खेतो को दुरुस्त करने में जुट गए है। बेतालघाट ब्लाक के धारी व उल्गोर गांव में फल उत्पादक कास्तकारों ने खेतो को दुरुस्त करने का कार्य शुरु भी कर दिया है।
अक्टूबर में हुई मूसलाधार बारिश ने किसानो को भारी नुकसान पहुंचाया।भूस्खलन से खेतो में मलबा भरने से खेत रोखड़ में तब्दील हो गए। फसल भी मलबे में दबने से बर्बाद हो गई।किसानो को भारी नुकसान पहुंचा। मुआवजे की आस में चार महीने बीत गए पर ढेला तक नसीब नही हुआ। बेतालघाट ब्लाक के फल व सब्जी उत्पादक धारी व उल्गोर गांव में किसानो के आढू, पूलम, खूमानी के बगीचो में भी मलबा भरा पडा़ है। मुआवजे की आस लगा किसान खेतो को सुधारने का इंतजार कर रहे थे पर चार महीने बीतने के बावजूद मुआवजे की उम्मीद न दिखी तो किसान अब खुद ही खेतो को दुरुस्त करने में जुट गए है। सरकारी मदद न मिलने से किसानो में गहरी नाराजगी भी है। स्थानीय पुष्कर सिंह, हरक सिंह,पीतांबर भट्ट, संजय सिंह,नवीन चंद्र,पंकज भट्ट आदि किसान खेतो को दुरुस्त कर दोबारा खेतीबाड़ी का मन बनाने लगे है। बकायदो खेतो में दीवार निर्माण के साथ ही मलबा सफाई का कार्य भी शुरु कर दिया है।लोगो ने किसानो को नुकसान का मुआवजा देने की पुरजोर मांग उठाई है।