= पंचायतों को हाईटेक बनाने के दावे खोखले
= पंचायत घरों में वाईफाई सिस्टम बने सफेद हाथी
= उठाई व्यवस्था में सुधार की मांग
(((अंकित सुयाल/कुबेर सिंह जीना/मनीष कर्नाटक की रिपोर्ट)))
ग्रामीण विकास को तमाम योजनाएं बनती है पर पहाड़ चढ़ते चढ़ते योजनाओं का दम फूल जा रहा है। पंचायतो को हाईटेक बनाने के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में वाईफाई सिस्टम स्थापित करने की योजना पहाड़ में हांफने लगी है। तीन वर्ष पहले पंचायत घरो में लगे वाईफाई सिस्टम आज तक शुरु ही नही हो सके है। योजना की बदहाली से ग्रामीणों का पारा चढ़ गया। ग्रामीणों ने तत्काल योजना को दुरुस्त करने की मांग उठाई है।
वाईफाई सिस्टम के जरिए ग्राम पंचायतो को हाईटेक बनाने की योजना गांवो में बदहाल है। दरअसल करीब तीन वर्ष पूर्व 2018 में पंचायत घरो को वाईफाई सिस्टम से जोड़ने की कवायद शुरु की। मकसद था की पंचायत घरो में बैठकर प्रधान व पंचायत से जुडे़ अधिकारी विकास कार्यो को गति दे सके।आनलाइन योजनाओं का क्रियान्वयन हो सके साथ ही वाईफाई सिस्टम होने से सरकारी योजनाओं की प्रगति भी उच्चाधिकारियों को भेजी जा सके।हालत यह है की तीन वर्ष बाद भी योजना परवान नहीं चढ़ सकी। रामगढ़ ब्लॉक के सुयालबाडी़, गंगरकोट, प्यूडा़, दियारी आदि गांव के पंचायत घरो में लगे वाईफाई सिस्टम आज तक शुरू ही नहीं हो सके। जिससे पंचायत प्रतिनिधियों व कर्मचारियों के तमाम दिक्कतें उठानी पड़ती है। पंचायत घरों में वाईफाई सिस्टम लगा दिए गए शुरूआत नहीं हो सकी जिससे वाईफाई सिस्टम के लगे बॉक्स सफेद हाथी बन चुके हैं। पंचायत प्रतिनिधियों ने योजना शुरू न होने पर विभागीय मंशा पर भी सवाल खड़े किए हैं। ग्राम प्रधान सुयालबाडी़ हंसा सुयाल के अनुसार दायित्व संभालने के बाद आज तक पंचायत घर में लगा वाईफाई सिस्टम का उपयोग नहीं हो सका है। अन्य ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों ने जल्द वाईफाई सिस्टम अपडेट किए जाने की मांग उठाई है। स्थानीय मदन मोहन सुयाल, कुबेर सिंह जीना, भीम सिंह बिष्ट, वीरेंद्र सिंह, भरत सिंह, मनीष कर्नाटक आदि ने तत्काल व्यवस्था में सुधार की मांग उठाई है। दो टूक चेताया है कि यदि उपेक्षा की गई तो फिर आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी।