= एकाएक बडे़ पैमाने पर स्वीकृति से ग्रामीण भी सख्ते में
= नदी से भविष्य में बडे़ खतरे की आंशका
= नदी के गड्डे बन सकते है खतरे का सबब
(((टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))
कोसी नदी में बडे़ पैमाने पर समतलीकरण की स्वीकृति से ग्रामीणों ने नदी का निजीकरण किए जाने का आरोप लगाया है। बेतरतीब खदान से भविष्य में नदी से बडा़ खतरा सामने आ सकता है। नदी से सटे गांवो के लोगो ने इसे भविष्य के लिए घातक भी बताया है। स्वीकृत समतलीकरण कार्यो की जांच की मांग भी उठाई है। दो टूक चेतावनी दी है की यदि गांवो के लोगो के हितो से उत्पीड़न किया गया तो फिर आंदोलन का बिगुल फूंक दिया जाऐगा। अनदेखी पर आगामी विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की चेतावनी दी है।
आदर्श आचार संहिता लगने से पहले ही कोसी नदी पर एक के बाद एक समतलीकरण के कार्यो को स्वीकृति दे दी गई है। गांवो के लोगो को कोसी के वेग से हुए नुकसान का मुआवजा भी नही बांटा जा सका था की एक साथ कई समतलीकरण के कार्यो की स्वीकृति से शासन प्रशासन की मंशा पर भी सवाल खडे़ हो गए है।आरोप लग रहे है की समतलीकरण के कार्यो पर अधिक ध्यान दे गांवो के लोगो की उपेक्षा की गई है। खदान पर रोक होने के बावजूद समतलीकरण के नाम से नदी की सीना चीरा जा रहा है।नियमो को ताक पर खदान की तैयारी की जा रही है।ग्रामीणों की माने तो जमीनो के अभिलेखों में भी हेरफेर की आंशका है। नियमों की अनदेखी कर गांवो के लोगो के हितो से भी खिलवाड़ किया जा रहा है। मानको के उलट तय सीमा के बाहर तथा तय समयावधि को भी ध्यान में नही रखा जा रहा। लोगो ने समतलीकरण कार्यो की जांच की पुरजोर मांग उठाई है। दो टूक चेताया है की यदि मनमानी की गई तो फिर आंदोलन का बिगुल फूंक दिया जाऐगा।