= अक्टूबर की बारिश में शिप्रा ने दिखाया था रौद्र रूप
= समय रहते नहीं हुए बाढ़ सुरक्षा के कार्य तो फिर हो सकती है पुनरावृति
= क्षेत्रवासियों ने उठाई समय रहते बाढ़ सुरक्षा कार्य कराए जाने की मांग

(((भरत सिंह/हरीश चंद्र/हरीश कुमार/पंकज नेगी की रिपोर्ट)))

गरमपानी – खैरना बाजार के ठीक पीछे बहने वाली उत्तरवाहिनी शिप्रा पर बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य ना होने से खतरा बढ़ता ही जा रहा है। अक्टूबर में हुई बारिश के बाद शिप्रा नदी में उठे जल प्रलय ने क्षेत्र में खूब तबाही मचाई। कई मकान जमींदोज हो गए। लोगों को नुकसान उठाना पड़ा। खेती तथा सरकारी परिसंपत्ति को भी भारी नुकसान हुआ। बावजूद आपदा को तीन माह बीत जाने के बाद भी बाढ़ सुरक्षा के नाम पर नदी क्षेत्र में एक पत्थर भी नही लगाया जा सका है। जिससे बरसात में खतरा बढ़ने की आंशका बढ़ती जा रही है। यदि समय रहते बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य नहीं किए गए तो नदी फिर रौद्र वेग अपना सकती है। क्षेत्रवासियों ने समय रहते शिप्रा नदी में बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य कराए जाने की पुरजोर मांग उठाई है।