= सत्ता तक पहुंचने की कवायद या कुछ और है मकसद
= कई बडे़ नेताओं के दल बदलने से सख्ते में कार्यकर्ता
= चुनाव से पहले दल और मन बदल रहे नेता

(((गरमपानी डेस्क की रिपोर्ट)))

उत्तराखंड की राजनीति में दल बदलने का वैरिएंट तेजी पकड़ रहा है। एक के बाद एक नेता रोजाना दल बदल रहे।दल बदलने के बाद नेता लंबे समय तक पुराने दल से नाता रखने के बाद उसी दल पर खुलकर हमलावर हो जा रहे है। प्रदेश की राजनीति में चुनाव से पहले आए नए वेरिएंट से भुचाल आया हुआ है।
प्रदेश की राजनीति बडे़ उठापटक के दौर से गुजर रही है। सत्ता सुख भोगने के बाद नेता अब सतारूढ़ दल से अलविदा कहते जा रहे है वहीं टिकट की चाहत में भी नेता अपने दल से बायबाय कह रहे है। खास बात तो यह है की लंबे समय तक दल विशेष से जुडे़ रहने के बाद दल छोड़ने के साथ ही नेतागण उसी दल पर तीखे जबानी हमले बोल रहे है। कभी गुणगान करने वाले नेता अब कैसे चुनावी वर्ष में उसी दल की कमियां गिनाने में जुट गए है। यह समझ से परे है। बहरहाल राजनीति के नए वेरिएंट से कार्यकर्ता भी असहज हो रहे है। आम जनमानस भी बदल रही राजनीति को टकटकी लगाए देख रहा है। अब देखना रोचक होगा की प्रदेश की राजनीति में हावी नए वैरिएंट का सामना प्रदेश की जनता कैसे करेगी।