= डेढ़ लाख रुपये प्रतिमाह आय देने वाली योजना से कमाई हुई शून्य
= आपदा से हुए नुकसान की भरपाई को तीन माह बाद भी नहीं मिला बजट

(((ब्यूरो चीफ विरेन्द्र बिष्ट/फिरोज अहमद/सुनील मेहरा/भीम बिष्ट की रिपोर्ट)))

पर्वतीय क्षेत्रों में बनी सरकारी योजनाएं दम तोड़ती जा रही है। अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर स्थित रामगाढ़ जल विद्युत परियोजना इसका जीता जागता उदाहरण बन चुका है। संबंधित विभाग को डेढ़ लाख रुपये प्रतिमाह कमाई देने वाली योजना से आज विभाग की कमाई शून्य हो गई है। यही हालात रहे तो योजना में कार्यरत कर्मचारियों को भी वेतन के लाले पड़ सकते हैं। योजना की उपेक्षा के जाने से स्थानीय लोगों में भी गहरा रोष व्याप्त है।
अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर रामगाढ़ क्षेत्र में स्थित जल विद्युत परियोजना में पिछले तीन माह से उत्पादन ठप है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार फिलहाल यूपीसीएल से रोजाना तीस किलोवाट बिजली लेकर करीब चार सौ उपभोक्ताओं को बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। आपदा से हुए नुकसान की भरपाई को जिला प्रशासन को करीब 65.25 लाख रुपये का प्रस्ताव भेजे जाने के बावजूद आज तक मरम्मत के लिए बजट को स्वीकृति नहीं मिल सकी है। जल विद्युत परियोजना से पहले चार सौ उपभोक्ताओं को सीधे बिजली देने के साथ ही यूपीसीएल व मोबाइल टावरों को भी बिजली की आपूर्ति की जाती थी जिससे प्रतिमाह डेढ़ लाख रुपये की आय होती थी उसी से परियोजना में कार्यरत चार कर्मचारियों का मानदेय भी उपलब्ध कराया जाता था पर अब उत्पादन ठप होने से आय शून्य में पहुंच गई है वहीं पिछले दो माह से कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ चुके हैं। उरेडा विभाग से अवर अभियंता एसआर गौतम के अनुसार नुकसान का सर्वे कर कार्य शुरू करने के लिए करीब 65.25 लाख रुपये का प्रस्ताव भेजा गया है पर स्वीकृति नहीं मिल सकी है। बताया कि परियोजना में उत्पादन ठप होने से आय जीरो हो चुकी है। वहीं महत्वपूर्ण जल विद्युत परियोजना की उपेक्षा किए जाने से स्थानीय गोधन सिंह बर्गली,रघुराज सिंह, वीरेंद्र सिंह, भास्कर आर्या, राजेंद्र सिंह, किशन सिंह, तारा सिंह आदि लोगों ने रोष जताया है। दो टूक चेतावनी दी है कि यदि जल्द परियोजना को दुरुस्त करने के लिए बजट उपलब्ध नहीं कराया गया तो फिर आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी।