= लाखो का बजट खर्च होने के बाद पैदल आवाजाही भी मुश्किल
= अंधाधुंध कटान ने दे डाला मानव जनित आपदा को न्यौता
= खर्च हुआ लाखों रुपया कोई सुधलेवा नही

(((ब्यूरो चीफ विरेन्द्र बिष्ट/फिरोज अहमद/सुनील मेहरा/भीम बिष्ट की रिपोर्ट)))

गांव के लोगों को उम्मीद थी कि सड़क सुविधा से जुड़ने के बाद तमाम दिक्कतों से निजात मिल सकेगी पर ग्रामीणों का यह सपना सपना ही रह गया। सड़क में वाहन तो छोड़िए पैदल चलना ही दूभर हो चुका है। लाखों रुपया खर्च होने के बाद गांवों को जोड़ने वाली सड़कें अस्तित्व में ही नहीं आ पाई। बदहाल हालत में पड़ी सड़के आगामी चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकती हैं।
बेतालघाट ब्लॉक में तमाम गांवो को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए एक के बाद एक सड़कों का कटान शुरू हुआ। उम्मीद थी कि गांवों के लोगों को सड़क सुविधा का लाभ मिल सकेगा पर आज तक सड़क पर एक भी वाहन नहीं दौड़ सका है। भुजान बेतालघाट मोटर मार्ग से चडूयूला से हमकोट गांव को जोड़ने वाली सड़क बदहाल हालत में है। आलम यह है कि सड़क कटान होने से अब भुजान बेतालघाट मोटर मार्ग भी खतरे की जद में आ गया है वहीं हल्सों गांव से कौरण गांव को लाखों की लागत से बनी सड़क भी खस्ताहाल है। सिमलखा से तिलाड़ी गांव को जोड़ने वाली सड़क का कोई सुध लेवा ही नहीं है लाखों रुपया खर्च होने के बावजूद सड़कें बदहाल हालत में है। अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे के चमडिया क्षेत्र से समीपवर्ती गांव के तोक को जोड़ने वाली सड़क भी बदहाली का दंश झेल रही। नौडा़ – ब्यासी- सिल्टोना मोटर मार्ग भी बदहाली का दंश झेल रहा है। ग्रामीणों ने सड़क निर्माण की आड़ में बजट ठिकाने लगाए जाने का आरोप लगाया है। कहा कि आज तक सड़क सुविधा का लाभ ही नहीं मिल सका है इसके उलट लाखों रुपये से निर्माणाधीन सड़क पर पैदल आवाजाही भी ही मुश्किल है। ऐसे में सड़क कब दुरुस्त होगी यह बड़ा सवाल ह। प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है ग्रामीणों की माने तो चुनाव में गांवो की बदहाल सड़कें बड़ा मुद्दा बनेगी।