= दैवीय आपदा में ध्वस्त हुई नहरो के लिए नहीं हो सका बजट स्वीकृत
= गेहूं, मटर,प्याज समेत दालो की उपज की बुवाई प्रभावित होने की आशंका
= अधिशासी अभियंता बोले – बजट स्वीकृति के साथ ही शुरू होगा नहरो के पुनर्निर्माण का कार्य
(((ब्यूरो चीफ विरेन्द्र बिष्ट/फिरोज अहमद/सुनील मेहरा/भीम बिष्ट की रिपोर्ट)))
कोसी घाटी के लगभग तीन हजार से ज्यादा धरतीपुत्र सिंचाई के पानी को तरस गए हैं। दैवीय आपदा में कोसी नदी के रौद्र वेग की भेंट चढ़ी सिंचाई नहरे ध्वस्त पड़ी है। डेढ़ माह पूर्व संबंधित विभाग ने करीब 15 करोड़ रुपये का प्रस्ताव सरकार को भेज दिया है पर स्वीकृति ना मिलने से कार्य शुरू नहीं हो सका है ऐसे में गेहूं, प्याज, मटर समेत विभिन्न दालों की बुवाई प्रभावित होने की आशंका बनी हुई है। संबंधित विभाग के अधिशासी अभियंता ने दावा किया है कि बजट स्वीकृत होते ही नेहरो को दुरुस्त करने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
दरअसल बीते 18 व 19 अक्टूबर को हुई मुसलाधार बारीश के बाद उफान में आई कोसी नदी ने भारी तबाही मचाई। सरकारी परिसम्पत्तियों को भी भारी नुकसान पहुंचाया। बेतालघाट ब्लाक के किसानो के खेतो तक सिंचाई को पानी पहुंचाने को बनाई गई अपर व लोअर लेफ्ट, धारी खैरनी, तल्ली व मल्ली सेठी तथा बरधौ नहर को भी नेस्तेनाबूत कर दिया। संबधित विभाग ने नुकसान का मौका मुआयना कर नहरो की मरम्मत को करीब 15 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेज दिया पर आपदा को दो महीने से भी ज्यादा का समय बीत जाने के बावजूद बजट को स्वीकृति नही मिल सकी है। नहरे बदहाल होने से धरतीपुत्र भी परेशान है। गेहूं, प्याज, मटर, मसूर आदि की बुवाई को लेकर किसानो की चिंता बढ़ने लगी है। धनियाकोट, सिमलखा, बरधौ, रतौडा़, नैनीचैक, तिवारीगांव, बेतालघाट, सेठी समेत तमाम गांवो के किसानो ने नहरो को दुरुस्त किए जाने की मांग उठाई है ताकी समय पर बुआई हो सके। इधर सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता केएस चौहान के अनुसार बेतालघाट क्षेत्र की आठ नहरो को दुरुस्त करने के लिए लगभग 15 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार कर भेजा जा चुका है उम्मीद है जल्द बजट को स्वीकृति मिल जाऐगी।दावा किया की बजट स्वीकृत होते ही नहरो की मरम्मत का कार्य शुरु कर दिया जाऐगा।