= हाईकोर्ट ने जारी किया सरकार और गणेश जोशी को नोटिस
= 2016 में विधानसभा घेराव के दौरान लाठी से पीटा था घोड़ा

(((नैनीताल से तनुजा बिष्ट की रिपोर्ट)))

शक्तिमान घोड़े पर हमले के बाद मौत मामले में कैबिनेट मंत्री व मसूरी विधायक गणेश जोशी की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। सीजेएम कोर्ट से बरी होने के आदेश को चुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट में चुनौती मिली है। आज हाईकोर्ट ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद गणेश जोशी के साथ सरकार सचिव गृह अन्य आरोपियों को नोटिस जारी किया है। और कोर्ट अब इस मामले में शीतकालीन अवकाश के बाद सुनवाई करेगा। आरोप है कि 14 मार्च 2016 में विधानसभा घेराव के दौरान पुलिस की लाठी से गणेश जोशी ने हमला किया जिसमे शक्तिमान घोड़ा घायल हो गया और एक महीने बाद घोड़े की मौत हो गयी।

घोड़े को न्याय के लिये आगे आया 1971 जंग का घायल फौंजी
दरअसल विधान सभा घेराव के दौरान हुई इस घटना इस में पुलिस ने 23 अप्रैल 2016 को गणेश जोशी को आरोपी बनाया और देहरादून नेहरू थाने में धारा 147, 148, 188, 233, 353, 429 समेत पशु क्रूरता अधिनियम के साथ अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। बाद में 16 मई 2016 को चार्जशीट भी कोर्ट में दाखिल कर दी गयी इसी बीच सरकार बदली तो सरकार ने सीजेएम कोर्ट देहरादून में केस वापस लेने का प्रार्थना पत्र दाखिल किया जिसको कोर्ट ने नहीं माना लेकिन कुछ दिनों बाद जज का तबादला हो गया। हालांकि बाद में कोर्ट ने 23 सितंबर 2021 को इस मामले में गणेश जोशी को बरी कर दिया। निचली अदालत के इस फैसले को अब पिथौरागढ़ के एनिमल लवर और 1971 भारत पाकिस्तान जंग के घायल सिपाही एचएस बिष्ट ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए। केस को ओपन करने की मांग की है और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। एनिमल लवर एचएस बिष्ट कहते हैं कि घोड़ा ना तो गणेश जोशी को नुकसान पहुंचा रहा था ना ही उससे कोई खतरा था बावजूद इसके घोड़े को पुलिस की लाठी से पीटा गया और उसकी टांग टूट गई..इसी लिये केस को रिओपन करने के साथ ट्रायल को भी जारी रखने की मांग की है कोर्ट से बिष्ट ने मांग की है कि उनको निचली अदालत के दस्तावेज भी दें ताकि वो इस पर अध्ययन कर सकें।