= कई मकान हुए जमीनदोंज तो खेत बने रोखड़
= बुजुर्ग बोले नही देखा नदीयों का ऐसा उफान
= नए साल पर सब कुछ ठीक होने की है उम्मीद
(((कुबेर सिंह जीना/अंकित सुयाल/मनीष कर्नाटक/महेंद्र कनवाल की रिपोर्ट)))
नव वर्ष 2022 का आगमन है पर 18 – 19अक्टूबर 2021 को हुए प्रलय को भुलाए नही भुलाया जा सकता।प्रलय ताउम्र न भुलने वाला जख्म दे गया है। बारिश के बाद कोसी व शिप्रा नदी में उठे जल प्रलय ने गरमपानी खैरना क्षेत्र का भूगोल ही बदल डाला है वही किसानो को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। सड़क व गांवो के संपर्क मार्गो को भी तहस नहस कर डाला।लोगो ने भी माना की आज तक ऐसी विभिषिका नही देखी। उम्मीद है कि नववर्ष पर सब कुछ ठीक होगा और समय के साथ-साथ नुकसान की भरपाई हो सकेगी।
18 व 19 अक्टूबर की रात को भुलाए नही भुलाया जा सकता।नदी के उफान ने भारी नुकसान पहुचाया।कई घर जमीनदोंज हो गए। माहौल ऐसा की हर कोई दहशत में आ गया। कृर्षि भुमि को भी भारी नुकसान पहुंचा। खेत रोखड़ में तब्दील हो गए।राष्ट्रीय राजमार्ग हो या स्टेट हाईवे या फिर गांवो को जोड़ने वाले मोटर मार्ग सब कुछ तहस नहस हो गया। हालात ऐसे है की सब कुछ ठिक होने में सालो लगने की संभावना है। बुजुर्गों का कहना है की आज तक नदीयों को ऐसा भीषण रुप नही देखा। उम्मीद है कि नव वर्ष के शुरू होने के साथ ही केंद्र व राज्य सरकार आपदा प्रभावितों के हित में कदम उठाएगी और धीरे-धीरे सब कुछ ठीक हो सकेगा।