= गांव के अंतिम छोर तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने के दावे खोखले
= तीन बार आवेदन करने के बावजूद अब तक नहीं मिल सका पेंशन का लाभ
(((कुबेर जीना/अंकित सुयाल/मनीष कर्नाटक/पंकज नेगी की रिपोर्ट)))
गांव के अंतिम छोर तक योजनाओं को पहुंचाने तथा उनका लाभ दिलाने के लाख दावे किए जाएं पर धरातल में दावे खोखले साबित हो रहे हैं। अल्मोड़ा हल्द्वानी हाइवे से सटे सिरसा गांव की दो महिलाएं पिछले तीन वर्षो से विधवा पेंशन तक को तरस रही है। हालात यह है कि तीन बार आवेदन करने के बावजूद आज तक विधवा पेंशन का लाभ दोनों महिलाओं को नहीं मिल सका है।
पृथक उत्तराखंड राज्य बनने के बाद उम्मीद थी कि गांव के लोगों को लाभ मिल सकेगा वहीं पेंशन योजनाओं का भी निस्तारण हो सकेगा समय रहते योजनाओं का लाभ लोगों को मिल सकेगा पर धरातल में हालात उलट है। सिरसा गांव की रेवती देवी के पति मोहन सिंह का तीन पूर्व निधन हो गया वहीं नंदी देवी के पति बहादुर राम के निधन के बाद विधवा पेंशन के लिए आवेदन किया गया पर पेंशन योजना का लाभ गरीब महिलाओं को नहीं मिल सका। पेंशन न मिलने से गरीब महिलाओं के आगे आर्थिक संकट भी उत्पन्न हो चुका है। ग्राम प्रधान इंदु जीना के अनुसार लगातार तीन वर्ष तक आवेदन करने के बावजूद पेंशन का लाभ न मिलना समझ से परे है अब एक बार फिर दोनों महिलाओं का आवेदन संबंधित विभाग को भेजा गया है। समाज सेवी कुबेर सिंह जीना ने चेताया है कि यदि जल्द विधवा पेंशन का लाभ दोनों गरीब महिलाओं को नहीं दिलाया गया तो फिर ग्रामीणों को साथ ले संबंधित विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया जाएगा।