= मुआवजे की राह देख रहे परेशान किसान
= खेत हो चुके रोखड़ में तब्दील

(((पंकज भट्ट/भाष्कर आर्या/भीम बिष्ट/हरीश चंद्र की रिपोर्ट)))

किसानों की आय दोगुनी करने के लाख दावे किए जाते हैं पर आय दोगुनी तो छोड़िए किसानों को आपदा से हुए नुकसान का मुआवजा तक नहीं मिल सकता है जिस कारण किसान परेशान है। खेत मलबे से दबे पड़े हैं अब कैसे खेतों को आबाद किया जाए यह बड़ा सवाल है। परेशान किसान रह रह कर अपनी किस्मत को कोस रहे हैं। दो वर्ष तक कोरोना संकट ने भारी नुकसान पहुंचाया उसके बाद बीते दिनों हुई मूसलाधार बारिश से हुए भूस्खलन ने खेतों को रोखड़ में तब्दील कर दिया किसानों को उम्मीद थी कि सरकार नुकसान का मुआवजा देगी पर एक माह से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद आज तक मुआवजे के नाम पर ढेला तक नसीब नहीं हुआ है। बेतालघाट ब्लॉक के लोहाली, धारी, उल्गौर, रूपसिंह धूरा क्षेत्रों में आडू, पूलम, सेब की बंपर पैदावार होती है पर इस वर्ष मूसलाधार बारिश के बाद हुए भूस्खलन ने सब कुछ तबाह कर डाला। नर्सरिया तबाह हो गई। वहीं पेड़ पौधे मलबे में दबे पड़े हैं। मुआवजा न मिलने से किसानों में गहरा रोष भी व्याप्त है।

मुआवजे के नाम पर अब तक कुछ नहीं मिल सका है। आडू के पेड़ मलबे में दब चुके हैं। उपज पूर्णत: बर्बाद हो चुकी है। एक माह बीत गया है पर मुआवजा नहीं मिल सका है।

  • पंकज भट्ट, फल उत्पादक कास्तकार।

पिछले दो वर्ष कोरोना संकट ने बर्बाद किया। उपज खेतों में ही बर्बाद हुई। अब इस वर्ष आपदा ने सब कुछ तबाह कर दिया। पेड़ पौधे सबकुछ मलबे में दबे पड़े हैं। मुआवजा न मिलने से परेशानी हो रही है।

  • मनोज भट्ट, फल उत्पादक किसान।

आडू, पूलम, सेब के पेड़ मलबे में दबे है। खेत रोकड़ में तब्दील है।अब खेतों को कैसे दुरुस्त करें समझ नहीं आ रहा है। एक महीना बीत जाने के बावजूद अब तक किसानों को मुआवजा नहीं मिल सका है।

  • जीवन सिंह, कास्तकार।