= उपज खेतों में ही बर्बाद होने से किसान भी हो गए मायूस
= गांव पर निर्भर गरमपानी खैरना क्षेत्र में नहीं दिखी भीड़
= फीका हो गया दीपावली का त्यौहार

(((विरेंद्र सिह बिष्ट/फिरोज अहमद/सुनील मेहरा की रिपोर्ट)))

बीते दिनों आई आपदा का असर धनतेरस त्यौहार पर साफ देखने को मिला। बाजार में खरीदारी को गांव के लोग ही नहीं पहुंच सके जिससे बाजार सुना-सुना रहा। व्यवसाई भी निराश दिखे।
गरमपानी खैरना बाजार पर आसपास के तमाम गांवों के लोग खरीदारी करने पहुंचते हैं पर बीते कुछ वर्षों से त्यौहार पर खरीदार ही नहीं पहुंच रहे बीते दो वर्षों में कोरोना ने कहर बरपाया अब जब सब कुछ ठीक होने की उम्मीद थी तो आपदा ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया। गांवों के लोग परेशान हैं वहीं व्यापारी भी मायूस है। धनतेरस पर इसका असर दिखा। कभी बाजार में धनतेरस पर बंपर भीड़ उमड़ती थी पर इस वर्ष खरीदार ही नहीं दिखे वहीं किसानों की उपज भी बाजार तक ना पहुंचने व खेतों में ही बर्बाद होने से काश्तकारों ने भी सीमित खरीदारी की।