= कोरोना की मार से काश्तकार चारों खाने चित
= फसल हो गई बर्बाद खाने की भी पड़ गए लाले
= लोगों ने उठाई मुआवजा दिए जाने की मांग
(((पंकज नेगी/मनोज पडलिया/संजय कुमार की रिपोर्ट)))
कोरोना के बाद आपदा की मार से बर्बाद हुए पहाड़ के काश्तकारों की ऋण माफी व मुआवजा देने की पुरजोर मांग उठी है। खेत रोकड़ में तब्दील हो चुके हैं। पूर्व में दो वर्ष खेतों में ही फसल बर्बाद हुई थी। ऋण लेकर खेती किसानी करने वाले काश्तकार परेशान हैं ऐसे में ऋण माफी व मुआवजे की पुरजोर मांग उठी है लोगों ने किसानों का ऋण माफ कर मुआवजा दिए जाने की मांग की।
बेतालघाट, रामगढ़, ताडी़खेत ब्लॉक के काश्तकारों को बीते दो वर्षों में भारी नुकसान उठाना पड़ा। कोरोना संकट में बडी़ मंडीयों तक उपज की आवाजाही ना होने से ही फसल खेतों में ही बर्बाद हो गई। हालात ऐसे बिगड़े की किसानों को उपज फेंकनी पड़ी अब कुछ राहत मिलने की उम्मीद जगी तो ठीक समय पर मुसलाधार बारिश से जगह-जगह उफान पर आए बरसाती नाले व भूस्खलन ने उपज को बर्बाद कर दिया। धान की उपज को भारी भारी नुकसान पहुंचा है। काश्तकारों की कमर ही टूट गई है। तमाम काश्तकारों ने बैंकों से ऋण लेकर भी खेती किसानी शुरू की थी ऐसे में उन्हें दो तरफा मार पड़ी है। नवचेतना मंच के महेंद्र सिंह बिष्ट, व्यापारी नेता वीरेंद्र सिंह, मदन सुयाल, कुबेर सिंह जीना, हरीश कुमार, दलीप सिंह नेगी, हरीश चंद्र, पंकज भट्ट, शेखर दानी, पंकज नेगी, भास्कर आर्या आदि लोगों ने किसानों की ऋण माफी के साथ ही उन्हें समुचित मुआवजा दिए जाने की भी पुरजोर मांग उठाई है। दो टूक चेतावनी दी है कि यदि किसानों की सुध नहीं ली गई तो फिर आंदोलन शुरू किया जाएगा।