= आपदा में व्यापारियों को भी मिले गहरे जख्म
= व्यवसायिक गतिविधि चौपट, बैंको का ऋण बना परेशानी
= बैंकों का ऋण माफ करने तथा उचित मदद मुहैया कराने की उठी मांग
(((महेंद्र कनवाल/दीपू लटवाल/संजय कुमार की रिपोर्ट)))
बीते दो वर्षों में कोरोना संकट से हुए नुकसान की भरपाई भी नहीं हो सकी थी कि अब जल प्रलय ने व्यापारियों की कमर ही तोड़ दी है। व्यवसाय पूर्णत: चौपट हो चुका है। हमेशा हर विपदा से निपटने में लोगों की बढ़-चढ़कर सहायता करने वाले व्यापारी खुद ही बड़े संकट में घिर चुके हैं। ऐसे में सरकार को व्यापारियों की ऋण माफी के साथ ही राहत पहुंचाने के लिए आगे आने की मांग उठी है।
मूसलाधार बारिश के बाद उठे जल प्रलय ने खैरना गरमपानी क्षेत्र में भारी तबाही मचाई। कई लोगों के घर जमींनदोंज हो गए। लोग घर से बेघर हो चुके हैं। दूसरे के घरों में शरण लेना मजबूरी बन चुका है। वहीं क्षेत्र के व्यापारियों का भी बुरा हाल है। बीते दो वर्षों में व्यापारियों ने खासा नुकसान उठाया और जल प्रलय ने भारी नुकसान पहुंचा दिया है।अब दोबारा जिंदगी कैसे शुरू होगी यह बड़ा सवाल है। बैंकों से ऋण लेकर कार्य करने वाले व्यापारी खासे परेशान हैं। लोगों ने व्यापारियों का बैंकों से ऋण माफ करने तथा व्यापारियों को पुनर्स्थापित करने के लिए सरकारी सहायता मुहैया कराने की पुरजोर मांग उठाई है ताकि एक बार फिर व्यापारी अपना व्यवसाय शुरू कर सके।