= अजब गजब है राजनीति के खेल
= कभी एक दूसरे को पानी पी पी कर कोसने वाले आज एक दूसरे के साथी
= जनता को बना रहे बेवकूफ या जनता बन रही बेवकूफ
((( तीखी नजर की स्पेशल रिपोर्ट)))
राजनीति भी अजब गजब दिन दिखाती है। कभी एक दूसरे को पानी पी पी कर कोसने वाले नेता आज एक दूसरे से जुदा होने को तैयार नहीं है। जुड़ाव ऐसा कि फेमीकॉल भी फेल हो जाए। नेताओं के बदलते रंग रूप से आमजन भी हैरान है। कोई इसे सत्ता की भूख तो कोई इसे महत्वाकांक्षा करार दे रहा है पर सच तो यह है कि यही राज्य की बदकिस्मती बन चुकी है। यह भी साफ है कि एक ना एक दिन राज्य की जनता राज्य के हितों से खिलवाड़ करने वालों को जरूर सबक सिखाएंगी।
सत्तर विधानसभा क्षेत्र वाला उत्तराखंड राज्य बेहद उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहा है। राज्य के हितों की रक्षा से उलट महज सत्ता तक पहुंचने की दौड़ हो रही है। खास बात यह है कि एक दूसरे को कोसने वाले अब कंधे से कंधा मिलाकर सत्ता तक पहुंचने का रास्ता ढूंढ रहे हैं। हैरत की बात तो यह है कि कभी राज्य की दुर्दशा के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराने वाले आज राज्य हित की बात कहकर कंधे से कंधा मिला रहे हैं। कोई देहरादून तो कोई दिल्ली की दौड़ पूरी कर रहा है मकसद एक है कि किसी भी तरह बस सत्ता तक पहुंचा जाए। राज्य हित पीछे छोड़ दिए गए हैं। राज्य में समस्याओं का पहाड़ खड़ा हो चुका है पर किसी को लेना देना नहीं। बीते चार वर्ष तक अफसरों के कार्य के जरिए विकास का दावा करने वाले अब अफसरशाही बेलगाम होने का दावा कर रहे हैं। सच तो यह है कि ऐसे लोगों ने जनता को बेवकूफ समझ लिया है जनता बेवकूफ बन रही है या बेवकूफ बनाया जा रहा है यह अलग बात है पर इतना साफ है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में जनता को बेवकूफ समझने वालों को जनता अपने मत रूपी ब्रह्मास्त्र से जरूर करारा जवाब देगी।