= 70 वर्षीय बुजुर्ग शकील अहमद बीते 40 वर्षों से लगातार दे रहे सेवा
= काफी मिलनसार और लोगों के चहेते भी है शकील
(((हरीश चंद्र/महेन्द्र कनवाल/कुबेर सिंह जीना की रिपोर्ट)))
वो एक ही हस्ती……एक ही वजूद है। जिसने ये सारा जहान बनाया है……।
फर्क इतना की कुछ उसे “खुदा” तो कुछ उसे “भगवान” कहते है……। जी हां धर्म के नाम पर लाख दावे कर लिए जाएं पर हकीकत यह है की इंसानियत सबसे ऊपर है। किसी ने ऊपर वाले को भगवान किसी ने खुदा का दर्जा दे दिया है। रानीखेत खैरना स्टेट हाईवे पर जैनोली में क्षेत्र में होने वाली रामलीला कौमी एकता का शानदार गुलदस्ता है। यहां उस्ताद शकील अहमद रामलीला मंचन के कलाकारों को अभिनय के गुर सिखा दक्ष बनाते हैं। खास बात यह है कि शकील अहमद को दोहा, चौपाई कंठस्थ याद है।
पिछले दो वर्षों में कोरोना संकट के चलते कई क्षेत्रों में रामलीला मंचन नहीं हो सका पर अब रामलीला मंचन की तैयारियां तेज हो गई हैं। रानीखेत खैरना स्टेट हाईवे पर स्थित जेनौली क्षेत्र में सुप्रसिद्ध रामलीला मंचन के लिए कलाकारों को तालीम देने का कार्य शुरू कर दिया गया है। क्षेत्र में होने वाली रामलीला में आसपास के सैकड़ों गांवों के लोग मंचन देखने पहुंचते हैं। खास बात यह है कि यहां कलाकारों को उस्ताद शकील अहमद अपने हारमोनियम की धुन से दक्ष बनाते हैं। शकील अहमद को रागनी, दोहा, छंद, कहरवा, चौपाई आदि कंठस्थ याद है वही रामचरितमानस की सभी ताल की जानकारी भी हैं। क्षेत्रवासी बताते हैं कि शकील कलाकारों को अभिनय के गुर भी सिखाते हैं। बीते चालीस वर्षों से शकील अहमद रामलीला मंचन में सेवाएं दे रहे हैं कलाकारों को तालीम देने के बाद पूरी रामलीला में 70 वर्ष शकील अहमद पूरी मुस्तैदी से जुटे रहते हैं।