गांव में ही लगाया धूप अगरबत्ती का उद्योग
बेतालघाट ब्लॉक के लोहाली गांव के प्रवासी ने भाई के साथ मिलकर शुरू किया कार्य
गरमपानी : कोरोना संक्रमण से रोकथाम को लगे लॉकडाउन में खड़ी हुई चुनौती को गांव के युवा अवसर में बदल रहे हैं। गांव से करीब तीन सौ किलोमीटर दूर दिल्ली में एक निजी कंपनी में कार्यरत नौजवान को जब लॉकडाउन में गांव वापस आना पड़ा तो ठीक मार्च में उसने स्वरोजगार की नींव रख दी । वर्तमान में कुमाऊं भर में वह अगरबत्ती, धूप की बिर्कि छोटे बडे़ बाजारों में कर रहा है।
पहाड़ में पहाड़ के युवा फौलादी इरादे लेकर आगे बढ़ रहे हैं। लॉकडाउन के बाद खड़ी हुई चुनौती से कई युवा शानदार तरीके से निपट रहे हैं यही नहीं चुनौती को अवसर में भी बदल डाला है। बेतालघाट ब्लॉक के लोहाली गांव निवासी प्रेम सिंह दिल्ली में एक प्रतिष्ठित धूप के कारखाने में लंबे समय से कार्य करते रहे। कोरोना संक्रमण के बाद लॉकडाउन होने से वह वापस गांव आ गए। छोटे भाई प्रताप के साथ में मार्च महीने में धूप अगरबत्ती बनाने का मन बनाया। अहमदाबाद व दिल्ली से मशीन तथा कच्चा माल मंगा धूप अगरबत्ती बनाने का कार्य शुरु कर दिया। वर्तमान में दोनों भाई कुमाऊं के अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत, डीडीहाट, रानीखेत, द्वाराहाट, चौखुटिया समेत कई छोटे बड़े क्षेत्रों में धूप अगरबत्ती का कारोबार कर रहे हैं।
दिव्यांग हिमांशु अगरबत्ती की मशीन का ऑपरेटर
प्रवासी प्रेम सिंह और छोटे भाई प्रताप ने मिलकर गांव में ही एक टीनशेड बनाकर कार्य शुरू कर दिया। खास बात यह है कि गांव के करीब पंद्रह से ज्यादा लोगों को रोजगार भी दे दिया गया है। सुबह से शाम तक गांव के लोग उच्च गुणवत्ता की धूप अगरबत्ती तैयार कर रहे हैं। गांव की ही दिव्यांग हिमांशु को भी रोजगार दिया गया है शुरुआत के कुछ महीनों तक हिमांशु को अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण दिया गया अब दिव्यांग हिमांशु अगरबत्ती बनाने की मशीन का ऑपरेटर है।
अन्य उत्पादों का भी होगा निर्माण
धूप अगरबत्ती बनाने के साथ ही अब प्रवासी प्रेम सिंह कई अन्य और चीजों के व्यवसाय की तैयारी कर रहे हैं। प्रेम सिंह के अनुसार धूप अगरबत्ती के साथ ही जल्द ही पिठियां, कुमकुम व पूजा पाठ की अन्य सामग्री भी बाजार में उतारी जाएगी। प्रेम सिंह का कहना है सरकारी मदद मिले तो व्यवसाय बढ़ाकर गांव के कई अन्य लोगों को रोजगार दिया जा सकता है