= बेहतर पैदावार ना होने से किसानो को हुआ नुकसान
= बुवाई के वक्त मूसलाधार बारिश ने प्रभावित कर दी खेती
= कम पैदावार में भी नहीं मिल रहा बेहतर मूल्य
(((दलिप सिंह नेगी/पंकज भट्ट/पंकज नेगी की रिपोर्ट)))
तीखे स्वाद के लिए सुप्रसिद्ध लखौरी मिर्च इस बार बेदम हो गई है। बुवाई के वक्त मूसलाधार बारिश होने से उपज की पैदावार चौपट हो गई है। बचीकुची उपज को ही किसान बेच रहे हैं उसमें भी वाजिब दाम नहीं मिल रहा है जिससे काश्तकारों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
रानीखेत खैरना स्टेट हाईवे से तमाम गांवों को जोड़ने वालेभुजान रिची बिल्लेख मोटर मार्ग पर बगवान समेत तमाम गांव लखौरी मिर्च की बंपर पैदावार के लिए जाने जाते हैं। अप्रैल में मिर्च की पौध लगाई जाती है पर ठीक बुवाई के वक्त मूसलाधार बारिश से किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है। इस वर्ष मिर्च की पैदावार ना के बराबर हुई है जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। अकेले बगवान गांव में ही करीब पचास कुंतल से भी अधिक लखौरी मिर्च की का उत्पादन होता था पर बारिश ने सब कुछ चौपट कर दिया। इस वर्ष सात- आठ कुंतल भी मिर्च की पैदावार नहीं हुई है। उसमें भी उपज का वाजिब दाम नहीं मिल रहा। जिससे किसानो को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। स्थानीय उमेश सिंह, कुबेर सिंह, मोहित फर्त्याल, चंदन सिंह, गोपाल सिंह, खुशाल सिंह आदि ग्रामीणों ने मुआवजे की पुरजोर मांग उठाई है। कहा की पैदावार ठीक ना होने से किसानों को दो तरफा नुकसान उठाना पड़ा है बैंक से ऋण लेकर खेती किसानी करने वाले किसान परेशान है। क्षति का सर्वे कर उचित मुआवजा दिए जाने की पुरजोर मांग उठाई है।
कई अन्य गांवों में भी यही हाल
बगवान ही नहीं बल्कि विशालकोट, मंडलकोट, म्यू, मटेला, लछीना, मनारी आदि गांवों में भी लखौरी मिर्च की बंपर पैदावार होती है पर बारिश ने गांवों की खेती प्रभावित कर दी उपर से उपज का बेहतर दाम भी नहीं मिल रहा पहले रामनगर व मुरादाबाद के खरीददार तक गांव पहुंचते थे पर इस बार पैदावार ना होने से खरीदार भी नहीं पहुंच सके हैं। थोड़ी बहुत मिर्च की बिक्री हो भी रही है तो उसमें भी दाम 200 से 300 रुपये किग्रा से ऊपर नहीं जा रहे।