= पर्वतीय क्षेत्र कंक्रीट के जंगल में तब्दील
= नाप की आड़ में बेनाप भूमि पर भी धड़ल्ले से हो रहा कब्जा
= कई जगह की जा रही सरकारी भूमि खुर्दबुर्द, प्रशासन ने साधी चुप्पी
= आखिर किसकी शह पर हो रहा काम, प्रशासन के ऊपर किसका दबाव बड़ा सवाल ?
((( तीखी नजर की स्पेशल रिपोर्ट)))
पर्वतीय क्षेत्र लगातार कंक्रीट के जंगल में तब्दील होते जा रहे हैं एक और भू कानून की मांग जोर-शोर से उठ रही है वही तेजी से भू माफिया गांवों में पैर पसार रहे हैं। नाप भूमि की आड़ में बेनाप भूमि पर भी धड़ल्ले से कब्जा किया जा रहा है। खास बात यह है कि जिम्मेदार आंखें मूंदे बैठे हैं गांव के लोग कई बार आवाज उठाते हैं पर हर बार अनसुनी कर दी जा रही है।
गांवो में बाहरी लोगों का दबदबा बढ़ता ही जा रहा है। शांत समझे जाने वाले गांव अशांत होते जा रहे हैं। कई जगह धड़ल्ले से सरकारी भूमि पर कब्जा कर लिया गया है। अल्मोड़ा हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग भी इसका जीता जागता उदाहरण है। आसपास के गांवों में भी सक्रियता बढ़ गई है नाप भूमि की आड़ में सरकारी भूमि को खुर्दबुर्द किया जा रहा है बिना अनुमति सरकारी जमीने काट दी जा रही है जहां ग्रामीण वर्षों सड़क का इंतजार करते थक गए हैं वहीं रातों रात सड़क पहुंचाकर बाहरी बिल्डरों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिरकार प्रशासन क्यों चुप्पी साधे हैं जगह-जगह जेसीबी मशीन से खदान किया जा रहा है फिर भी प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। कई जगह पानी का सूखा है तो धड़ल्ले से बोरिंग कर दी जा रही है लोग सड़कों पर उतर नारेबाजी उन विरोध कर रहे हैं पर जिम्मेदारों को कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा यही हालात रहे तो जल्द गांवो में जन आंदोलन भड़क सकता है।